सुपौल: बिहार के कई जिलों में ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जहां वेंटिलेटर लगाए हैं, लेकिन वो कारगर नहीं हैं. वेंटिलेटर मशीन देखने मात्र के लिए रह गई हैं. उनमें से एक सूबे के सुपौल जिले का सदर अस्पताल है, जहां 10 महीने पहले 6 वेंटिलेटर मशीनें मंगाई गई थीं. लेकिन उन्हें अब तक इंस्टॉल नहीं किया गया है. इस खबर को एबीपी न्यूज ने प्राथमिकता से चलाया था. 


सुपौल डीएम ने लिया संज्ञान


एबीपी न्यूज पर ख़बर चलने का बड़ा असर हुआ. मामले डीएम महेंन्द्र कुमार ने संज्ञान लेते हुए सदर अस्पताल में जल्द से जल्द वेंटिलेटर सुविधा शुरू करने की कवायद तेज कर दी है. इस बाबत स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर वेंटिलेटर मशीनों को चलाने वाले टेक्नीशियनों की भी मांग की गई है. डीएम ने इस मामले में राधोपुर में तैनात एन्स्थेसिया के डॉक्टर को सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त किया है. साथ ही वेंटिलेटर मशीन के लिए आक्सीजन पाइप लगाने का काम भी जल्द शुरू करने को कहा है


क्या है पूरा मामला ?


बता दें कि पीएम केयर फंड से सुपौल सदर अस्पताल में भेजी गईं 6 वेंटिलेटर मशीनें 10 महीने से जंग खा रही है. जबकि जिले में रोजाना कोरोना के कई मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन मरीजों का इलाज जिले में करने के बजाय डॉक्टर उन्हें डीएमसीएच रेफर कर देते हैं. इस  वजह से डीएमसीएच पर अतिरिक्त बोझ तो बढ़ ही रहा है. मरीज भी वेंटिलेटर के अभाव में मौत के मुहाने पर खड़े हैं. 


सुपौल सदर अस्पताल में कोरोना और दूसरी बीमारियों के गंभीर मरीजों के लिए जून 2020 में ही छह नए वेंटिलेटर आ तो गए, लेकिन इसे अभी तक इंस्टॉल नहीं किया गया है. मशीन सदर अस्पताल में पैक कर रखी हुई है. एबीपी न्यूज पर खबर चलने के बाद प्रशासन की नींद खुली और उसने इस ओर कार्रवाई की.


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