Bihar Education System: बिना स्मार्ट फोन के भी बच्चे बनेंगे 'स्मार्ट', टोला सेवक अब मौहल्ले में कराएंगे पढ़ाई
शिक्षा सेवक अपने टोले के 5वीं तक के बच्चों को इकट्ठा कर एक समूह बनाएंगे. चूंकि कोरोना काल है, ऐसे में समूह में 25 से अधिक बच्चे नहीं होंगे. प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी सेवकों की मदद करेंगे.
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पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे बच्चे जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, अब उन्हें टोला शिक्षक उनके मोहल्ले में ही जाकर पढ़ाएंगे. दरअसल, कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीसरी लहर को देखते हुए बिहार सरकार ने स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है. सरकार ने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की बात कही है. प्राइवेट स्कूलों द्वारा तो सरकार के आदेश अनुसार छात्रों के ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था कर दी गई है. लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्रों को स्कूल बंद हो जाने की वजह से परेशानी हो रही है. कई बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं. ऐसे में सरकार ने इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए पूरी व्यवस्था कर दी है.
बिना स्मार्ट फोन के भी पढ़ेंगे बच्चे
बता दें कि बीते दिनों शिक्षा विभाग की ओर से इस बाबत पत्र जारी किया था. पत्र में ऑनलाइन पढ़ाई कराने के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे बच्चों की पढ़ाई कैसे कराई जाएगी इस संबंध में पूरी व्यवस्था की जानकारी दी गई थी. पत्र के अनुसार कक्षा 1 से 5 के विद्यार्थियों के साथ-साथ वैसे बच्चे, जिनके पास डिजिटल डिवाइस की सुविधा उपलब्ध नहीं है, उनके लिए प्रधानाध्यापक द्वारा ऐसी व्यवस्था की जाएगी, जिसमें विद्यालय के शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को गृह आधारित शिक्षण के लिए टोला भ्रमण कर मार्गदर्शन दिया जाए. इस कार्य में विद्यालय के प्रधान अपने क्षेत्र के शिक्षा सेवक/शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) की सहभागिता और सहायता प्राप्त करेंगे.
28 हजार टोला सेवक करेंगे काम
विभागीय पत्र में बताया गया कि राज्य में लगभग 250 KRP और उनके अधीन लगभग 28,000 शिक्षा सेवक/शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) कार्य कर रहे हैं. ऐसे में इस कार्य के लिए जिला स्तर से एक या दो प्राथमिक विद्यालयों के साथ प्रत्येक शिक्षा सेवक/शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) को संबद्ध किया जाएगा. प्रत्येक शिक्षा सेवक/शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करते हुए अपने संबद्ध विद्यालय के टोला में भ्रमण कर बच्चों को गृह आधारित शिक्षण में सहयोग करेंगे.
समूह में नहीं होंगे 25 से अधिक बच्चे
बता दें कि शिक्षा सेवक (टोला सेवक) अपने टोले के 5वीं तक के बच्चों को इकट्ठा कर एक समूह बनाएंगे. चूंकि कोरोना काल है, ऐसे में समूह में 25 से अधिक बच्चे नहीं होंगे. वहीं, संबंधित टोले से जुड़े प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी सेवकों की इस काम में मदद करेंगे. गौरतलब है कि इस संबंध में सभी जिलों के डीईओ को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने निर्देश दिया है. पटना जिला शिक्षा कार्यालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. टोला वार बच्चों की जानकारी मांगी गई है. उम्मीद है कि अगले सप्ताह से बच्चों की पढ़ाई शुरू करा दी जाएगी.
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