सावधान! बिहार में अभी भी 39 प्रतिशत वाहन चालक नहीं लगाते हेलमेट, 14 जिलों की संख्या में कमी, पटना का स्तर बेहतर
Safe Driving Rules: हेलमेट वाहन चलाने के दौरान पहनना अनिवार्य होता है. बिहार ट्रैफिक पुलिस अक्सर अभियान चलाती और लोगों से हेलमेट पहनने की अपील करती ताकि उनकी जान की सुरक्षा बनी रहे.
पटना: वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना जरूरी है क्योंकि यह आपकी जान की रक्षा करता है. हालांकि देखा जाए तो अभी भी कई ऐसे सड़क हादसे होते हैं जिसमें हेलमेट नहीं पहनने के कारण सिर में गंभीर चोटें आती हैं और मौत तक हो जाती है. बिहार के लगभग सभी जिलों में ट्रैफिक चेकिंग अभियान चलता है फिर भी काफी सारे लोग बिना हेलमेट के पाए जाते हैं. बिहार में अभी भी 39 प्रतिशत वाहन चालक बिना हेलमेट के ही गाड़ी चलाते हैं. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
पटना में 87.56 प्रतिशत लोग पहनते हेलमेट
बिहार के सभी जिलों में लोगों द्वारा हेलमेट पहने जाने की प्रतिशत अलग अलग है. हिंदुस्तान अखबार में जारी एक रिपोर्ट की मानें तो जिलेवार आंकड़ों के मुताबिक 2021 के मुकाबले साल 2022 में सूबे के 14 जिलों में हेलमेट पहनने वालों की संख्या में गिरावट है. बाकी 24 जिलों में इसमें बढ़ोतरी हुई है. साल 2021 में लगभग 55 प्रतिशत लोगों ने हेलमेट पहना तो वहीं साल 2022 में 61.18 प्रतिशत लोगों ने वाहन चलाने के दौरान हेलमेट पहना है. राजधानी पटना की बात करें तो रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां 87.56 प्रतिशत लोग हेलमेट पहनते हैं.
14 जिलों में संख्या में कमी
इसके अलावा मधेपुरा में केवल 45.10 प्रतिशत लोग ही हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं. साल 2022 में बिहार के औरंगाबाद, जमुई, नालंदा, बक्सर, लखीसराय, अररिया, गोपालगंज, बेगूसराय. कटिहार बेतिया, गया, कैमूर नवादा और मधेपुरा में लोगों ने सबसे कम हेलमेट पहने जबकि साल 2021 की संख्या इस बार से ज्यादा थी. वहीं पटना, वैशाली, भोजपुर, जहानाबाद और शेखपुरा में लोगों ने इसे कम पहना है. साल 2021 में बिना हेलमेट के वाहन चलाने के कारण 1190 मौतें हुई हैं.
बिहार पुलिस लगातार करती सतर्क
देखा जाए तो बिहार ट्रैफिक पुलिस लगातार हेलमेट चेकिंग अभियान चलाती है. अनाउंसमेंट के जरिए और कभी कभी चौराहे पर लगे पोस्टर, होर्डिंग में भी लोगों को हेलमेट पहनने और जीवन की सुरक्षा के बारे में आगाह करती रहती है. सूबे के कई जिलों में लोग इसका पालन करते हैं और अपनी जान बचा लेते हैं जबकि कई लोग आज भी सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.
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