Independence Day 2024: जब 15 अगस्त को दलसिंहसराय थाने में चली थीं गोलियां, समस्तीपुर में शहीद हो गए थे 7 क्रांतिकारी
Independence Day 2024 Special: आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त को ही दलसिंहसराय से हो गई थी. इसके बाद समस्तीपुर में शुरुआत हुई. थाने का घेराव और पत्थरबाजी में 73 लोगों को आरोपित किया गया था.
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Independence Day Story: अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने में समस्तीपुर के दलसिंहसराय का भी अहम योगदान रहा है. 1942 में हुई अगस्त क्रांति की ज्वाला समस्तीपुर में इस कदर भड़की कि क्या छात्र, क्या नौजवान, क्या बुजुर्ग सभी अपना-अपना घर छोड़ गुलाम भारत को आजाद कराने की लड़ाई में कूद पड़े थे. आजादी के दीवानों ने जब ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का शंखनाद किया तो दलसिंहसराय के वीर सपूत भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े. आज भी उनकी वीरता को याद किया जाता है.
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार ने उन दिनों की बात बताई कि कैसे क्या कुछ हुआ था. आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त को ही दलसिंहसराय से हो गई थी. इसके बाद समस्तीपुर में शुरुआत हुई. छत्रधारी हाई स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने 13 अगस्त 1942 को दलसिंहसराय रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ की थी. तब कुछ छात्रों को ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. इस घटना के विरोध में अगले दिन 14 अगस्त को भी जगह-जगह छुपकर क्रांतिकारियों ने आंदोलन जारी रखा था.
थाने में पुलिस से हो गई थी भिड़ंत... फहरा दिया झंडा
15 अगस्त को जुलूस की शक्ल में देशभक्तों ने दलसिंहसराय थाने को घेराव कर दिया था. घेराव करने वाले ज्यादातर छात्र थे और उनकी उम्र कम थी. हालांकि पुलिस ने छात्रों को भगा दिया. इसी दौरान उस वक्त थाने से लौट रहे छात्रों की मुलाकात तत्कालीन बनरवा गाछी (वर्तमान सरदारगंज) इलाके में भजनगामा के पहलवान राम लखन झा और मऊ के पहलवान योगी झा से हुई. छात्रों ने जब उन्हें थाने से भगा देने की जानकारी दी तब दोनों पहलवान छात्रों को साथ लेकर फिर थाने पहुंचे और मौजूद पुलिस पदाधिकारियों से भिड़ गए. इसी बीच गोविंदपुर के परमेश्वरी महतो ने मौका पाकर थाने में स्थित पेड़ पर चढ़कर तिरंगा फहरा दिया.
...और शुरू हो गई फायरिंग
थाने में तिरंगा फहराते देख पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी थी. पुलिस की गोली लगने की वजह से तीन क्रांतिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई. आधा दर्जन से अधिक क्रांतिकारी जख्मी हुए थे. घायलों में से भी 4 क्रांतिकारियों की मौत एक-दो दिन के बाद हो गई थी.
दलसिंहसराय थाना पर तिरंगा फहराने में पुलिस की गोली से परमेश्वरी महतो, दुर्गा पोद्दार, बंगाली दुसाध, जागेश्वर लाल, सरयुग कापर, अनुपम महतो शहीद हो गए. वहीं इसमें एक अज्ञात क्रांतिकारी जिसकी पहचान मौत के बाद भी नहीं हो सकी थी. आज भी अंचल कार्यालय परिसर में देश की आजादी में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों का नाम शिलापट्ट पर स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है. थाने का घेराव और पत्थरबाजी में 15 अगस्त 1942 को कांड संख्या 9 दर्ज करते हुए 73 लोगों को आरोपित किया गया था.
अगस्त 1942 में हुई घटनाक्रम पर एक नजर
11 अगस्त- सिगरेट फैक्ट्री घेराव, नेता सत्यपाल मिश्र सहित 6 क्रांतिकारी गिरफ्तार
12 अगस्त- सीएच स्कूल और बाजितपुर में मीटिंग
13 अगस्त- बाजितपुर में प्रदर्शन और ध्वजारोहण
14 अगस्त- स्थानीय कांग्रेस नेता शिवनंदन सिंह और मथुरा प्रसाद सिंह गिरफ्तार हुए थे. साथ ही दलसिंहसराय में छात्रों के प्रदर्शन में 5 क्रांतिकारी गिरफ्तार हुए थे. लाठीचार्ज में श्रीनाथ सिंह का सिर फूटा था
15 अगस्त- सुबह जनता ने थाना घेराव किया था. नेतृत्व मथुरा सिंह, दामोदर चौधरी, राम खेलावन झा ने किया था. पत्थरबाजी के बाद पुलिस की ओर से गोलीबारी में दुर्गा पोद्दार, सरयुग कापर, अनूप महतो, जागेश्वर लाल की घटनास्थल व बंगाली दुसाध और परमेश्वरी महतो की जेल में मौत हो गई थी जबकि दर्जन से अधिक लोग हुए घायल थे.
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