क्या वाकई चुनाव के समय युवा वर्ग को बहलाने के लिए सरकार निकालती है सरकारी नौकरियों की वैकेंसी ?
सरकार आर्टिकल 35(A) को लेकर तो पूरे दुनिया में हल्ला करती है. लेकिन आर्टिकल 39(A) का एक बार जिक्र नहीं करती जिसमें लिखा है कि "पुरुष और स्त्री सभी को जीविकोपार्जन का साधन उपलब्ध हो."
सहरसा: बिहार सरकार ने इनदिनों ताबड़तोड़ बहाली भी निकालना शुरू कर दिया है. जबकि कई परीक्षा में पास छात्रों की मानें तो केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार हर चुनावी वर्ष में वैकेंसी निकालती है और फिर वह परीक्षा कभी पेपर लीक , तो कभी आयोग की नीति या कोर्ट के चक्कर में जाकर लटक जाता है.
सब कुछ है भगवान भरोसे
इस संबंध में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले संतोष ने बताया कि मैंने विभिन्न परीक्षाएं दी हैं, लेकिन विभाग शिथिल है. वर्ष 2014 में बिहार एसएससी निकला था, वर्ष 2016 में परीक्षा हुआ लेकिन पेपर लीक होने के कारण एग्जाम केंसिल हो गया. पुनः वर्ष 2018 में एसएससी ने एग्जाम लिया और रिजल्ट अब दिया है और कब इसका मेंस होगा और कब मैरिट तैयार होगा सब भगवान भरोसे है.
केवल चुनाव के समय निकलती है वैकेंसी
वहीं सुपौल जिले के अररहा निर्मली निवासी छात्र, जो वर्ष 2012 से सहरसा में रहकर कंपीटिशन की तैयारी कर रहा है ने बताया कि सीजीएल, बैंक, बीपीएससी, एलडीसी आदि परीक्षाओं में शामिल हुआ हूं. किसी परीक्षा का प्री एग्जाम हो गया तो अभी तक मेंस नहीं हुआ. किसी का मेंस हुआ तो मैरिट तैयार नहीं हुआ है. सरकार चुनाव के समय में वेकैंसी निकालती है और अगले चुनाव में उसके परीक्षा की तैयारी शुरू करती है.
रिजल्ट की ही तरह टाला जाए चुनाव रिजल्ट
अब आप समझ सकते हैं कि बिहार में पढ़ने वाले छात्रों के हालात क्या हैं. सरकार आर्टिकल 35(A) को लेकर तो पूरे दुनिया में हल्ला करती है. लेकिन आर्टिकल 39(A) का एक बार जिक्र नहीं करती जिसमें लिखा है कि "पुरुष और स्त्री सभी को जीविकोपार्जन का साधन उपलब्ध हो." इस बात का जिक्र किसी चुनावी रैली में नहीं होता है. जिस तरह छात्र के परीक्षा के परिणामों को टाला जाता है, उस तरह नेताओं के चुनाव का परिणाम टाला जाए तब छात्रों के दर्द को सदन उठाया जाएगा.8