पटना: भारतीय क्रिकेटर ईशान किशन का टी-20 वर्ल्ड कप में चयन होने से उनके परिवार में खुशी की लहर है. वहीं, बिहार के बेटे की इस उपलब्धि से बिहारवासी भी गौरवांवित महसूस कर रहे हैं. इसी बीच शुक्रवार को एबीपी न्यूज ने खिलाड़ी के माता और पिता से बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी खुशी साझा करते हुए ईशान के संबंध में कई बातें बताईं.


पूरे बिहारवासी बधाई के पात्र


ईशान किशन के पिता प्रणव ने कहा कि बेटे की सफलता के लिए पूरे बिहारवासी बधाई के पात्र हैं. बिहारवासियों ने जो प्यार दिया वो काफी अच्छा रहा और ये भी खुशी है कि ईशान ने उनके सपनों को पूरा किया. मैं चाहूंगा कि आगे भी वो उनके सपनों को पूरा करे."


उन्होंने बताया, " जैसा कि मिडिल क्लास फैमली में बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. उसी तरह उसकी मां उसके पढ़ाई को लेकर ज्यादा चिंतित रहती थी. लेकिन ईशान को खेल में रुचि थी और मुझे भी खेल से लगाव था, तो मैं उसका सपोर्ट करता था. इसलिए हम दोनों प्लानिंग कर लेते थे कल क्या करना है और ये बात उसके मम्मी को बताते ही नहीं थे."


थोड़ी लड़ाई भी हो जाती थी


इधर, ईशान की मां सुमित्रा देवी ने बताया कि बचपन में कभी-कभी ऐसा होता था कि जब इसका स्कूल होता था और मैं उठाने जाती थी तो मुझे पता चलता था कि आज उसका मैच है, तो मुझे गुस्सा आता था कि उसने मुझे रात में क्यों नहीं बताया. मैं सुबह से उठकर इसके लिए लंच तैयार की, इसके जाने के लिए पूरी तैयारी की. अगर पता होता तो मैं भी थोड़ा सा सो लेती. इस बात को लेकर गुस्सा भी आता था और थोड़ी लड़ाई भी हो जाती थी."


ईशान की मां ने बताया कि बहुत छोटी उम्र से ही उसने खेलना शुरू कर दिया था. तो पहले से ही एक झलक दिख रही थी क्योंकि जब ये क्रिकेट खेलकर आता था, तो मेरी उत्सुकता होती थी ये जानने की कि ये कैसा खेल रहा, कोच क्या बोले, जबकि खेलते दोनों भाई थे और पढ़ाई के साथ खेल दोनों के लिए था पर इसके लिए दिमाग में था कि इसे पढ़ना नहीं है, पढ़ाई तो करता था पर जितना ध्यान खेल पर था, उतना पढ़ाई में नहीं था. तो जब खेल कर आता मैं पूछती थी और ये मालूम होता कि कोच ने अच्छा बोला है, तो खुशी होती थी.


बहन से फोन कर पूछती थी


सुमित्रा देवी बताती हैं कि लंच में ईशान को नॉर्मल भोजन पसंद ही नहीं था, उनके लिए उन्हें कुछ स्पेशल बनाना पड़ता था. जैसे कभी पनीर चिल्ली, तो कभी सैंडविच, तो चाऊमीन. उन्हें खाने में यही सब पसंद था और स्कूल में सारा खाना लूट हो जाता था क्योंकि सारे बच्चे मिलकर खाते थे पर मुझे ये सब बनाना आता ही नहीं था. इसके लिए वो अपनी बहन से फोन कर पूछती थी तो वो गाइड करती थी.


पिता प्रणव ने बताया कि शुरू में ये सीनियर के साथ में मैच खेलता था. एक समय ऐसा आया जब अच्छा परफॉर्मेंस होने लगा तो इसके सीनियर ने हमसे कहा कि इसे आप यहां क्यों रखे हैं, यहां क्रिकेट का वैसा माहौल नहीं है. इसे आप झारखंड भेज दीजिए पर मुझे कुछ जानकारी ही नहीं थी तो उन लोगों ने ही वहां क्लब अरेंज किया, फिर ये वहां चला गया.


हमने भी सपोर्ट करना शुरू कर दिया


उन्होंने बताया कि एक कोच हुआ करते थे अधिकारी जी. उन्होंने उस समय कहा था कि इस पर ध्यान दीजिए, ये काफी आगे जाएगा. जबकि उस समय ये काफी छोटी उम्र का था. महज 8 से 9 साल की उम्र में इसका सिलेक्शन  अंडर-16 में हो गया, ऐसे में उसी समय हमलोगों में कॉन्फिडेंस आ गया था कि इतनी कम उम्र में अगर कोई जानकर ने इसे अंडर-16 में सलेक्ट किया है, तो इसमें जरूर कोई बात है फिर हमने भी सपोर्ट करना शुरू कर दिया.


ईशान के पिता ने बताया कि वे बहुत नटखट हैं. साथ में शातिर भी इतना कि स्कूल से शिकायत आने ही नहीं देते थे. जब भी उसके मार्क्स कम आते थे, तो वो मार्कशीट मेरे पास तक पहुंचती ही नहीं थी और जब पूछते तो बोलता अभी मिला ही नहीं है. कभी-कभी जब इसकी मां उसके बैग को ठीक करती तो फिर उसमें नीचे में मार्कशीट मिलता था. शैतानी तो वो अभी भी करता है सब के साथ पर इतना मासूम है कि उसके शैतानी पर हंसी आती है.






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