पटनादेश की राजनीति में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को चाणक्य का नाम देना गलत नहीं होगा. नीतीश कुमार 2005 से अब तक बिहार के  मुख्यमंत्री के पद पर कब्जा जमाए हुए हैं. 9 अगस्त 2022 को बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल होकर आठवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ ली. इसके बाद अब बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम में लगे हैं. दो बार विपक्षी एकता की बैठक हुई है और तीसरी बार मुंबई में बैठक होनी है. हालांकि नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा, वे अचानक क्या फैसला ले लेंगे यह समझ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.


बीते रविवार (30 जुलाई) को मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार ने अपने पूर्व विधायक और पूर्व पंचायती राज के एमएलसी, शिक्षक एवं स्नातक का चुनाव जीत कर आने वाले पूर्व एमएलसी को बुलाकर उनसे एक-एक कर मुलाकात की. कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार ने अपने विधायक, विधान पार्षद और सांसदों से एक-एक कर मुलाकात की थी. उस वक्त उनसे यह पूछा गया था कि क्षेत्र में किस तरह से विकास हो रहा है, क्या-क्या हो रहा है और क्या बचा हुआ है लेकिन अब पूर्व विधायक और विधान पार्षदों से मुलाकात के बाद बिहार में राजनीति तेज हो गई है.


विपक्ष के साथ सहयोगी दल भी सकते में


नीतीश कुमार का मिशन क्या है वह तो बेहतर वही जान रहे होंगे लेकिन इस तरह सबसे मुलाकात को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दल भी सकते में हैं. नीतीश कुमार की क्या रणनीति हो सकती है इसको लेकर मीडिया में भी कई तरह की खबरें चल रही हैं. महाराष्ट्र में जिस तरह से बीजेपी ने जोड़तोड़ की राजनीति की क्या बिहार में उसी तरह की राजनीति से नीतीश कुमार डरे हुए हैं? ऐसे कई सवाल हैं.


इस पर जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मीडिया में कई तरह के कयास लग रहे हैं परंतु नीतीश कुमार सभी बातों को बारीकी से देखते हैं और समझते हैं. पहले उन्होंने वर्तमान विधायक, विधान पार्षद और सांसदों से मुलाकात की लेकिन अब वे पूर्व विधायक और विधान परिषद से मिल रहे हैं. इसका उद्देश्य यह है कि नीतीश कुमार बहुत दिनों से लोगों से व्यक्तिगत संपर्क में नहीं आ रहे थे. अकेले मिलने से पता चलता है कि कौन आदमी राजनीति में क्या समझ रखता है उसके हिसाब से क्षेत्र की भी उसकी कोई समस्या है तो इसकी जानकारी मिलती है.


कई पूर्व विधायक और विधान पार्षद ऐसे भी होंगे जिनकी सीट चली गई तो उनका भी मन नीतीश कुमार टटोलते हैं कि कहीं वह दाएं-बाएं तो नहीं जा रहा है. इधर-उधर तो कहीं नहीं भाग जाएगा. यह सब बातें हैं. नीतीश कुमार देख रहे हैं कि वह अभी विपक्षी एकता की मुहिम में लगे हुए हैं तो ऐसे में इन लोगों का नजरिया क्या है. इन सबसे उन्हें फीडबैक मिल जाता है.


जेडीयू ने क्या कहा?


जेडीयू प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार जनता से सीधा संवाद करते हैं. कार्यकर्ताओं से संवाद करते हैं. 2020 में जिस सीट पर हम चुनाव हारे हैं तो बहुत जगह भारतीय जनता पार्टी ने विश्वासघात किया था. उस समय भी नीतीश कुमार ने इन लोगों से मुलाकात की थी. इन लोगों ने बताया था. तो स्वभाविक है कि नीतीश कुमार ने उनकी भावना का सम्मान किया है. उन्होंने गठबंधन का स्वरूप बदला और विपक्षी एकता की मुहिम में लगे. इसका दूरगामी असर हो रहा है. इसके बारे में नेताओं को बताना, समझाना, उनसे जानकारी लेना, इसी कारण से नीतीश कुमार ने पूर्व विधायक और विधान पार्षदों से मुलाकात की है.


यह भी पढ़ें- Lok Sabha elections 2024: लोकसभा चुनाव में कितने फीसद वोट पर बिहार में रुक जाएगा महागठबंधन, India Tv के सर्वे में जानें