पटना: जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होते ही बिहार में सियासत तेज हो गई है. जातीय सर्वे पर जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने सोमवार ( 2 अक्टूबर) को बयान दिया. उन्होंने कहा कि "हम जातीय गणना के खिलाफ नहीं हैं, जाति गणना से पासवान, जोलहा, शर्मा, केवट, नोनिया, मांझी ऐसे समाजिक और शैक्षणिक लोग, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उसे ऊपर लाने की जरूरत है, लेकिन हिंदुस्तान के नेता कभी गरीब और गरीबी को खत्म करने पर बात करते हैं?"


जाप नेता पप्पू यादव ने कहा कि शर्मा, जोल्हा, तांती, नोनिया, चंद्रवंशी, केवट, धानुका को मजबूत करने की जरूरत है. यादव और कुर्मी समाज के लोग ओबीसी में सबसे मजबूत हो चुके हैं. आर्थिक और शैक्षणिक रूप से मैं मानता हूं कि कुर्मी समाज आज सबसे ऊपर है, उसके बाद कुशवाहा. आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर जातियों को ऊपर लाने की जरूरत है. हमारी संख्या 14.2666 प्रतिशत है फिर भी हमारी आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति ठीक नहीं है. पप्पू यादव ने जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी होने पर उसका स्वागत किया है.  


बिहार की जातीय गणना रिपोर्ट


बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट सोमवार (02 अक्टूबर) को गांधी जयंती के दिन जारी की गई. जातीय गणना के आंकड़ों के अनुसार बिहार में कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी और ईबीसी हैं. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है यादव, ओबीसी समूह जिससे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आते हैं, जनसंख्या के मामले में सबसे बड़े हैं. यादव कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है.


बीजेपी ने कहा-'जातीय गणना रिपोर्ट अधूरा'


बिहार की जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद कई नेताओं ने बयान देना शुरू कर दिया है. विरोधी दल बीजेपी ने कहा कि यह रिपोर्ट आधी-अधूरी है. हड़बड़ी में रिपोर्ट आई है जिसका सीधा मकसद चुनाव से है. जेडीयू और आरजेडी चुनाव के बहाने वोट लेने की कोशिश करेंगे. इनका जातीय गणना की रिपोर्ट से कोई लेना देना नहीं है. इसमें आर्थिक सर्वे का जिक्र ही नहीं है.


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