आमरण अनशन के आगे क्या रहेगी रणनीति? प्रशांत किशोर ने डिटेल में बताई सारी बात, जानें क्या कहा?
Prashant Kishor: जन सुराज संस्थापक प्रशांत किशोर पिछले चार दिनों से पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि उनके इस आंदोलन को किसी नेता या पार्टी से जोड़कर न देखा जाए.
BPSC Student Protest: बिहार में छात्रों और युवाओं के नेतृत्व में चल रहा आंदोलन अब एक नई दिशा और पहचान ले चुका है. बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के खिलाफ शुरू हुआ यह संघर्ष अब व्यापक रूप ले रहा है. BPSC 70वीं परीक्षा के आंदोलन का रविवार को 19वां दिन है. गांधी मैदान में महात्मा गांधी की मूर्ति के नीचे छात्रों के समर्थन में प्रशांत किशोर के आमरण अनशन का आज चौथा दिन है. इस दौरान जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी आगे की रणनीति बताई.
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को किसी नेता या पार्टी से जोड़कर न देखा जाए बल्कि युवाओं के आंदोलन के रूप में देखा जाए. प्रशांत किशोर ने ये स्पष्ट करते हुए कहा कि मंच पर किसी पार्टी का झंडा नहीं है. यहां मैं एक बिहार युवा होने के नाते आया हूं कोई नेता के नाते नहीं.
‘आंदोलन अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक’
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि यह आंदोलन बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों के विरोध से शुरू हुआ है. धीरे-धीरे इसमें अन्य छात्र और युवा जुड़ते गए और यह आंदोलन एक व्यापक स्वरूप लेता गया. 25 दिसंबर को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के बाद आंदोलन में एक नया मोड़ आया. इसके बाद 30 दिसंबर को पुलिस ने ठंड के मौसम में वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया और एक बार फिर लाठीचार्ज किया गया, जिससे प्रदर्शनकारी और आक्रोशित हो गए. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल BPSC परीक्षा तक सीमित नहीं है. बल्कि एक बड़ा संघर्ष है जो समाज में व्याप्त अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं की एकजुटता का प्रतीक बन चुका है.
‘51 सदस्यों की एक समिति का गठन’
जन सुराज के संस्थापक ने बताया कि इस आंदोलन को अधिक संगठित और उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए 51 सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है, जिसे ‘युवा सत्याग्रह समिति’ नाम दिया गया है. प्रशांत किशोर ने अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि वे इस आंदोलन का हिस्सा एक युवा बिहारी के रूप में हैं, न कि किसी नेता के रूप में. उनका कहना है कि आंदोलन का नेतृत्व छात्रों के हाथ में है और वे केवल एक मार्गदर्शक और समर्थक की भूमिका निभा रहे हैं.
‘यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल का अभियान नहीं’
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल का अभियान नहीं है. यह बिहार के युवाओं का आंदोलन है, जो न्याय और पारदर्शिता के लिए खड़ा है. उन्होंने प्रशासन और समाज से अपील की है कि वे छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से लें. प्रशांत किशोर ने यह भी कहा आप भी कभी छात्र रहे होंगे. आपके भी बच्चे हैं. उनकी आकांक्षाओं और सपनों को समझने की कोशिश करें. युवा सत्याग्रह समिति अपनी मांगों में न केवल BPSC परीक्षा की अनियमितताओं की जांच की बात की है, बल्कि व्यापक सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया है.
उनकी प्रमुख मांगें हैं
• BPSC परीक्षा की अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच.
• डोमिसाइल नीति का कार्यान्वयन.
• दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई.
• यदि छात्र चाहें, तो परीक्षा को दोबारा आयोजित करना.
राजनेताओं से आंदोलन का समर्थन करने का आह्वान
प्रशांत किशोर ने छात्रों की नेतृत्व क्षमता और एकता की प्रशंसा करते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर्श उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, “यह लड़ाई अहिंसा और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन बिहार में युवाओं की शक्ति और उनके संकल्प को दर्शाता है. यह सिर्फ परीक्षा की खामियों को उजागर करने का प्रयास नहीं है, बल्कि एक बेहतर और न्यायपूर्ण व्यवस्था की मांग है. प्रशांत किशोर ने इस आंदोलन को किसी भी राजनीतिक दल या विचारधारा से जोड़ने से इनकार करते हुए कहा कि यह सभी युवाओं और समाज के हित के लिए है. उन्होंने अन्य राजनीतिक नेताओं को भी इस आंदोलन का समर्थन करने का आह्वान किया, चाहे वे राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव. प्रशांत किशोर ने कहा तेजस्वी या राहुल इस आंदोलन का नेतृत्व करें तो वे पीछे हट जाएंगे. वहीं युवा सत्याग्रह समिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक न्याय सुनिश्चित नहीं किया जाता.
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