पटना: जेडीयू के एमएलसी रामेश्वर महतो ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कई खुलासे किए हैं. यह बात भी सामने आ गई है कि उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) जब पार्टी में आए थे तो उसी समय तय हो गया था कि उन्हें किसी तरह साइड करना है. रामेश्वर महतो (JDU MLC Rameshwar Mahto) ने कहा कि होटल मौर्या में एक बैठक हुई थी. उद्देश्य यही था कि उपेंद्र कुशवाहा को कैसे पार्टी से बाहर किया जाए. उसमें प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी थे. कई विधायक और सांसद भी थे.


रामेश्वर महतो ने कहा कि इस बैठक में उन्हें भी बुलाया गया था लेकिन उन्होंने साफ तौर पर मना कर दिया था. एक सवाल पर कि कौन सांसद और विधायक थे? इस पर रामेश्वर महतो ने कहा कि पूर्णिया के सांसद थे और कुछ विधायक थे. उतना नाम नहीं पता है.


मुख्यमंत्री को करना चाहिए हस्तक्षेप


महागठबंधन सरकार बनने के बाद होटल मौर्या में मीटिंग की जा रही थी कि मंत्रिमंडल विस्तार में उपेंद्र कुशवाहा मंत्री नहीं बनें इस पर काफी चर्चा हुई. उसके बाद भी इनकी मीटिंग होती रहती है कि कैसे उपेंद्र कुशवाहा को बाहर का रास्ता दिखाया जाए. रामेश्वर महतो ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को इंटरफेयर करना चाहिए और बैठकर बात करनी चाहिए. उनका जो उद्देश्य था लव-कुश समीकरण जेडीयू के साथ मजबूत हो, यह तभी संभव होगा जब उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू में रहेंगे. .


रामेश्वर महतो ने कहा कि जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को पार्टी के संविधान के बारे में पता नहीं है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के अधिकार की बात प्रदेश अध्यक्ष कैसे कह सकते हैं? उनको नहीं पता है कि पार्टी का संविधान क्या है. अगर कोई उनको यह सब कहने के लिए भी कहता है तो यह उनको सोचना चाहिए कि यह सब उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है तो कैसे कहेंगे.


एक सवाल पर कि लव-कुश समीकरण टूट जाएगा? इसका जवाब देते हुए कहा कि यह तो नहीं पता, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का विकल्प कोई जेडीयू में नहीं है. पार्टी का विकास चाहते हैं तो उपेंद्र कुशवाहा का रहना जरूरी है. पार्टी का जनाधार घट रहा है. ऐसा लगता है कि कोऑर्डिनेशन जमीनी स्तर पर नहीं हो पाई है जो होनी चाहिए थी.


क्या कुशवाहा बीजेपी के साथ जा सकते हैं?


क्या उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी के साथ जा सकते हैं? इस पर रामेश्वर महतो ने कहा कि यह तो नहीं पता. 13 जनवरी को उनसे मिला था और कहा था कि कुछ भी हो जाए आप पार्टी छोड़कर नहीं जाएं. रामेश्वर महतो ने कहा कि पार्टी के नेताओं को सोचना चाहिए और खुद मुख्यमंत्री को सोचना चाहिए कि इतनी बड़ी पार्टी है जिसके 75 लाख सदस्य हमलोगों ने बनाए हैं. उन 75 लाख सदस्यों से कोई ऐसा एक सदस्य नहीं है जो पार्टी का आगे लीडर बन सके. नीतीश कुमार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ही वह चेहरा हैं जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद संभाल सकते हैं. लव कुश पार्टी का समीकरण है उसके हिसाब से नीतीश कुमार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ही चेहरा हो सकते हैं.


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