पटना: बिहार में जातीय गणना (Caste Census) को लेकर राजनीतिक जुबानी जंग तेज हो गई है. जातीय गणना पर हाई कोर्ट के रोक को लेकर महागठबंधन के नेता बीजेपी (BJP) पर लगा रहे हैं तो बीजेपी नीतीश सरकार को घेर रही है. वहीं, इस मुद्दे को लेकर जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार (Neeraj Kumar) ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर कोर्ट में संगठन 'यूथ फॉर इक्वलिटी' (Youth for equality) के छह आवेदन कर्ता हैं. इसमें प्रो. माखन लाल, प्रो. संगीत कुमार रागी, प्रो. कपिल कुमार, डॉ. भूरे लाल, अहना कुमारी और एक सोच, एक प्रयास शामिल है, ये सभी अमित शाह (Amit Shah) के दुलारुआ हैं. बीजेपी के नेताओं के सह पर यह याचिका दाखिल की गई है.


जेडीयू प्रवक्ता ने बीजेपी से पूछा सवाल


नीरज कुमार ने कहा कि संगठन 'यूथ फॉर इक्वलिटी' का जन्म 2006 में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हुआ था. ओबीसी आरक्षण को लेकर यह संगठन सुप्रीम कोर्ट गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. इसके बाद 2019 में इस संगठन ने 10 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. सबसे बड़ी बात है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एबीवीपी का 2006 में समर्थन किया था. आगे जेडीयू प्रवक्ता ने बीजेपी से पूछा कि इस संगठन से आपका रिश्ता क्या है?


'जनगणना विरोधी है मोदी सरकार'


जेडीयू नेता ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार सिर्फ जाति गणना विरोधी नहीं है, वह जनगणना विरोधी भी है. पिछले डेढ़ सौ सालों में पहली बार हो रहा है कि देश में 10 साल में जनगणना नहीं हो रही है. अंतिम जनगणना 2011 में की गई थी. इसके बाद 2021 में तय था लेकिन मोदी सरकार ने कोविड का बहाना बनाकर आज तक जनगणना नहीं की. जनगणना नहीं कराए जाने से देश में संविधानिक संकट पैदा हो गया है. परिसीमन कैसे किया जाएगा?


होई कोर्ट ने लगाई रोक


बता दें जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर गुरुवार (4 मई) को पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया. बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि तीन दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश दे. पटना हाई कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तीन जुलाई को होगी. तब तक कोई डाटा सामने नहीं आएगा.


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