पटना: केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह के शामिल होने के बाद से कयासों का बाजार गर्म है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं, सीएम नीतीश कुमार ने 'करीबी' माने जाने वाले नेता से दूरी बना ली है. शपथ ग्रहण के बाद ना तो आरसीपी सिंह ने सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री को थैंक्यू कहा है. ना ही मुख्यमंत्री ने अपने करीबी नेता को शुभकामनाएं दी हैं. दोनों नेताओं की इन हरकतों से कयासों को और हवा मिल रही है. हालांकि , पार्टी नेता ऐसे किसी भी बात से इनकार कर रहे हैं. 


ट्वीट करना कोई जरूरी नहीं 


जेडीयू एमएलसी उपेंद्र कुशवाहा ने एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान कहा कि नीतीश कुमार के ट्वीट नहीं करने को अलग नजर से देखने की जरूरत नहीं है. ये जरूरी नहीं कि मुख्यमंत्री हर बात के लिए ट्वीट ही करें. लोग बातचीत भी करते हैं. उन्होंने कहा, " मुझे ऐसा नहीं लगता कि पार्टी में नाराजगी है और नाराज होने का कोई कारण भी नहीं है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंत्री बने हैं, ये तो खुशी की बात है." 


कैबिनेट में जेडीयू के एक ही नेता को जगह मिलने के बाद पार्टी में हाहाकार के सवाल का जवाब देते हुए कुशवाहा ने कहा, " कोई हाहाकार जैसी बातें नहीं हैं. मीडिया में जो बातें चलती हैं, उसका आधार कुछ नहीं होता, बस अटकलबाजी होता है. मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कहा था कि कैबिनेट विस्तार के संबंध में बातचीत करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिकृत हैं और वो बात कर रहे हैं. ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बात की और जो निर्णय हुआ वो सबके सामने है."


साल 2019 की बात थी अलग


साल 2019 में जेडीयू की ओर से की गई मांग के संबंध में उन्होंने कहा कि 2019 की बात अलग थी. इसका जवाब मुख्यमंत्री ने खुद दिया है कि तब की बात समाप्त हो चुकी है और अब नए सिरे से बात हो रही है. नए सिरे से बात करने के लिए रामचंद्र प्रसाद सिंह ही अधिकृत हैं. 


संतुष्ट होने और ना होने का कोई विषय नहीं 


कैबिनेट में एक सीट मिलने से पार्टी असंतुष्ट के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कहना उचित नहीं है. कैबिनेट विस्तार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेषाधिकार है. संतुष्ट होने और ना होने का कोई विषय ही नहीं. जब तक पार्टी कोई भी निर्णय नहीं लेती, तब तक कोई राय भी नहीं दी जाती है. पार्टी का अनुशासन ये ही कहता है. 


आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और काफी दिनों तक रहे. जब उन्हें व्यक्तिगत रूप से लगा कि अब काम करने में परेशानी हो रही है तो उन्होंने खुद निर्णय लिया. तो पार्टी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि उन्हें छोड़ना चाहिए या नहीं छोड़ना चाहिए.


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