Bihar Politics: JDU MLC ने अपनी ही सरकार के फैसले को बताया बेतुका, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की दिलाई याद, जानें पूरा मामला
जेडीयू नेता ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया आदेश बेतुका और अतार्किक है. जब पुलिस इस काम को कराने में सफल नहीं हो पा रही है तो शिक्षक कैसे कर पाएंगे. इससे उनके जान को खतरा हो सकता है.
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पटना: बिहार में लागू शराबबंदी कानून सफल हो, इस बाबत राज्य सरकार ने शिक्षकों को नई जिम्मेदारी सौंपी है. शुक्रवार को शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी किया गया, जिसमें ये कहा गया है कि अब सरकारी शिक्षक मद्य निषेध विभाग के नंबरों पर कॉल करके क्षेत्र के शराब माफियाओं और शराबियों के संबंध में सूचना देंगे. विभागीय आदेश के बाद राज्य भर के शिक्षकों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. इधर, विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के नेताओं ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है.
जेडीयू एमएलसी ने लिखा पत्र
इसी क्रम में रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू (JDU) के विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह (Sanjeev Shyam Singh) ने शिक्षकों से पियक्कड़ों की "जासूसी" कराने वाले सरकारी आदेश को बेतुका और अतार्किक बताया है. साथ ही शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Vijay Chaudhary) से आदेश को रद्द करने की मांग की है. इस बारे में उन्होंने बाकायदा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पत्र जारी किया है.
सरकार प्राथमिकता से करे ये काम
पत्र में उन्होंने कहा है कि सरकारी शिक्षकों को पहले ही काफी जिम्मेदारी दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शिक्षकों से पठन-पाठन के कार्य के अलावा जनगणना समेत कई अन्य कार्यों में सहयोग लिया गया है. जो कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. वहीं, बीते दो सालों से कोरोना काल होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार की पहली प्राथमिकता बच्चों की पढ़ाई कैसे पूरी हो ये होना चाहिए.
जेडीयू नेता ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया आदेश बेतुका और अतार्किक है. जब पुलिस इस काम को कराने में सफल नहीं हो पा रही है तो शिक्षक कैसे इस काम को कर पाएंगे. इससे उनके जान को खतरा हो सकता है. ऐसे में विभाग इस फैसले को वापस ले.
शिक्षा मंत्री ने दी थी सफाई
हालांकि, शनिवार को जब शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से इस संबंध में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि जानबूझकर कन्फ्यूजन पैदा किया जा रहा है. सरकार ने पहले से ही आम नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जिस पर वे कॉल कर शराबियों की सूचना देते हैं. अब सरकार अपने कर्मचारियों को शराबबंदी को सफल बनाने में मदद करने को कह रही है, तो गलत क्या है. इस आदेश में शिक्षकों के लिए कोई बाध्यता नहीं है. कोई टाइम नहीं दिया गया है. कोई बंदिश नहीं है कि आप इतने दिनों में इतने लोगों की सूचना दें. उन्हें केवल यह बताया गया है कि आप शराबबंदी को सफल बनाने के लिए शिक्षा देने के साथ-साथ यह भी काम करें.
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