पटना: उपेंद्र कुशवाहा ने पटना के मौर्या होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोमवार (20 फरवरी) को बड़ा बयान दिया. उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwha) ने जेडीयू छोड़ने का एलान किया. कहा कि आज से वह नई पारी की शुरुआत कर रहे हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वे सरकार पर खूब बरसे. कुशवाहा ने दो दिवसीय बैठक की रविवार से शुरुआत की थी. पहले दिन उन्होंने बहुत कुछ नहीं कहा था. अब कुशवाहा ने जेडीयू के ही नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय-विमर्श लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसके बाद उन्होंने यह एलान किया है.


उन्होंने अपनी पार्टी का नाम 'राष्ट्रीय लोक जनता दल' (Rashtriya Lok Janata Dal) रखा है. उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है. कुशवाहा अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे. उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के प्राथमिक सदस्य से और विधान परिषद के सदस्य के रूप से भी इस्तीफा दे दिया.


अंत भला तो सब भला: कुशवाहा


उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार को उस खौफनाक मंजर से बाहर निकालने में नीतीश कुमार ने पूरी ताकत लगा दी. बिहार बाहर आया. हर तरह से लोगों के बीच अमन-चैन कायम हुई. बिहार में विकास हुआ. बहुत ही अच्छा काम किया, लेकिन कहा जाता है कि अंत भला तो सब भला. उपेंद्र कुशवाहा ने खुद बताया कि आखिर नया निर्णय लेने की स्थिति क्यों पैदा हुई.


'तमाम जिम्मेदारियां छोड़ रहा हूं'


उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह पार्टी की तमाम जिम्मेदारियों को छोड़ रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को इसके बार में उन्होंने सुबह ही जानकारी दी थी. एक बार फिर दोहराया कि नीतीश कुमार दो-चार लोगों के कहने पर फैसले लेते हैं. इससे पहले पीएम मोदी की तारीफ भी की थी. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में 2024 को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि विपक्षी एकता बन नहीं रही है. ऐसे में नरेंद्र मोदी के लिए ये इस बार आसान होगा.


दो साल पहले का जिक्र करते हुए कुशवाहा ने कहा कि वह जब जेडीयू में आए तब राज्य के सामने एक विशेष परिस्थिति थी. नीतीश कुमार के ऊपर जिस विरासत को संभालने की जवाबदेही बिहार की जनता ने 2005 में मुकम्मल तौर पर दी उसके पहले जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद वह विरासत बिहार के लोगों ने लालू प्रसाद यादव को दी थी. लालू यादव को बहुत बड़ा समर्थन मिला. जनता ने उसके अनुकूल उनको ताकत दी. सत्ता में आए तो शुरुआती दिनों में लालू ने भी जनता की भावना का ख्याल रखा. बाद के दिनों में भटकाव आया.


1994 में समता पार्टी बनी. जॉर्ज फर्नांडिस के आशीर्वाद से नीतीश कुमार उस पार्टी में बिहार के मुखिया बने. फिर संघर्ष का दौर चल पड़ा. उस वक्त बिहार जल रहा था बिहार. जनता तबाह थी. उस स्थिति से बाहर निकालने के लिए नीतीश कुमार ने 10-12 साल तक संघर्ष किया. तब बिहार के लोगों ने आशीर्वाद दिया. ताकत दी. हमलोग भी साथ रहे. 2005 के बाद जननायक ठाकुर की वही विरासत नीतीश कुमार के पास आ गई. नीतीश कुमार ने बहुत अच्छे से किया. इस बात के लिए मैं उनका धन्यवाद भी करता हूं. 


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