पटना: सम्राट अशोक पर जारी विवाद के बीच शुक्रवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी (Sushil Modi) ने जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) से इस मुद्दे पर बायनबाजी नहीं करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि परस्पर कोशिशों से अब इस विवाद को खत्म कर दें. हालांकि, शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल इस मुद्दे पर विवाद थमने नहीं वाला. पार्टी की ओर से साफ तौर पर कहा गया कि जब तक केंद्र सरकार साहित्यकार से आवार्ड वापस लेने की ओर कोई सकारातमक पहल नहीं करती तब तक विरोध जारी रहेगा.
सम्राट अशोक के योगदान पर हमला
पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया, " दया प्रकाश सिन्हा का स्पष्टीकरण अखबारों में आया है, जिसमें सिन्हा ने किताब में सम्राट अशोक से औरंगजेब से तुलना नहीं करने की बात कही है. सवाल सिर्फ इतना नहीं है सिन्हा ने अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वो पठन-पाठन और सम्राट अशोक पर नाटक लिखने के दौरान अशोक और औरंगजेब के चरित्र में खासी समानताएं पाते हैं. सिन्हा सम्राट अशोक के विश्व में योगदान पर बुनियादी हमला कर रहे हैं. "
जारी बयान में कहा गया, " सिन्हा इंटरव्यू में कहते हैं कि दोनों ही शासकों ने अपनी शुरुआती जिंदगी में कई पाप किए, फिर उन्हें छिपाने के लिए अतिधार्मिकता का सहारा लिया, ताकि उनके पाप पर किसी का ध्यान न जाए. सिन्हा का यह कहना ही बहुत आपत्तिजनक है. पूरी दुनिया जानती है कि सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद प्रायश्चित में भविष्य में युद्ध न करने का प्रण लिया था और बुद्ध के शरण में जाने का निर्णय लिया. उन्होंने पूरी दुनिया में अहिंसा का प्रचार प्रसार किया. सम्राट अशोक ने पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रसार किया."
पुरस्कार देकर मान्यता देना शर्मनाक
पार्टी ने कहा, " सम्राट अशोक के योगदान को हमारे राष्ट्र ने कई अवसरों पर स्वीकार किया है. आज हमारे यहां राष्ट्रीय झंडा में अशोक चक्र को अहम स्थान मिला हुआ है तो अशोक स्तंभ की अपनी प्रतिष्ठा है. ऐसे में दया प्रकाश सिन्हा का सम्राट अशोक पर किसी भी तरह के आपत्तिजनक लेखन को साहित्य अकादमी पुरस्कार देकर मान्यता देना शर्मनाक है. इस तरह से सिर्फ उनकी सफाई से संतुष्ट होने का सवाल ही नहीं है. उनका लेखन देश की अस्मिता पर हमला है और बगैर साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री पुरस्कार के वापस लिए हम किसी भी कार्रवाई को ऑयवाश ही मानते हैं."
जेडीयू ने कहा, " सरकार सकरात्मक सोच के साथ आगे आए और तत्काल प्रभाव से साहित्य अकादमी और पदम् श्री पुरस्कार वापस लेने का काम करे, ताकि भविष्य में कोई भी साहित्य के नाम पर देश की अस्मिता और प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने की हिमाकत न कर सके. जब तक इस दिशा में भारत सरकार की ओर से सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाएगा, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा."
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