Prashant Kishor Attacks JDU Nitish Kumar: बिहार में दो अक्टूबर से जन सुराज के नाम से एक नई पार्टी दिखेगी. इसके सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हर दिन नए-नए दावे कर रहे हैं. इस बीच एक बार फिर उन्होंने सोमवार (30 सितंबर) को सियासी तूफान उठाने वाला बयान दिया है. पीके ने दावा किया है कि भविष्य में ना जेडीयू रहेगा और नीतीश कुमार.


सोमवार को एएनआई से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा, "जेडीयू जब दल ही नहीं रहेगा तो उसका उत्तराधिकारी क्या होगा? नीतीश कुमार का जो दल है मैं उसमें रहा हूं. नीतीश कुमार के साथ काम भी किया है मैंने. तो उस दल की पूरी पूंजी नीतीश कुमार हैं. जब वही (पूंजी) खत्म हो गई तो ब्याज से कैसे काम चलेगा? उस दल का कोई भविष्य नहीं है." 


'दो-चार सलाहकारों के पास पूरी व्यवस्था'


प्रशांत किशोर ने कहा, "आप बिहार में किसी व्यक्ति से बात करिए वो कहेगा बिहार में अधिकारियों का राज है. अधिकारियों का जंगलराज है. लोगों को विचार करने की जरूरत है कि ये अधिकारियों का आखिर जंगलराज हुआ कैसे? नीतीश कुमार तो पहले भी मुख्यमंत्री थे. हुआ ये कि नीतीश कुमार पिछले कुछ सालों से विधायकों, मंत्रियों, पंचायती राज से जुड़े हुए लोगों के बजाय Qj अपने कार्यकर्ताओं के बजाय पूरी व्यवस्था को अपने चंद दो-चार सलाहकारों के हवाले कर दिया है. मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं, लेकिन लोग बता रहे हैं कि उनकी जो स्थिति है शारीरिक और मानसिक रूप से वो उसमें सक्रिय नहीं हैं, तो जो उनके इर्द-गिर्द के सलाहकार हैं वही लोग चला रहे हैं." 






'...इसलिए बिहार में अधिकारियों का बोलबाला'


पीके ने कहा कि ये वो लोग हैं जिनकी किसी के प्रति कोई जवाबदेही नहीं हैं. क्योंकि ये अधिकारी भी नहीं हैं. ये सेवानिवृत्त हैं. जनता ने जनादेश दिया नहीं है. सरकारी नौकरी की वजह से जो आपको पावर मिलता है वो है नहीं. आप सरकारी नौकर थे. नेता (नीतीश कुमार) ने आपको सलाहकार बना दिया. इनका न जनता से सरोकार है न सरकारी व्यवस्था से सरोकार है इसलिए बिहार में अधिकारियों का बोलबाला दिख रहा है. जो अधिकारी चाहेगा वही होगा.


प्रशांत किशोर ने स्मार्ट मीटर, शराबबंदी और जमीन सर्वे को तीन बड़ा मुद्दा बताया. कहा कि जमीन सर्वे के इतने बड़े विषय पर नीतीश कुमार ने सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की. इस पर कौन निर्णय ले रहा? उनके सलाहकार. शराबबंदी के नाम पर बिहार के हर घर में होम डिलीवरी हो रही है. 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. शराब और बालू माफिया फल फूल रहे हैं. इस पर कौन निर्णय ले रहा है? नीतीश के सलाहकार. 


पीके ने कहा कि जबरदस्ती आप लोगों को डराकर स्मार्ट मीटर स्वीकार करने के लिए कह रहे हैं, स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं, लेकिन जनता की बात सुन तो लीजिए. आप गांव में जाकर देखिए, हो ये रहा है कि आपने रिचार्ज नहीं कराया बिजली कट गई. 10 दिन के बाद अगर आपने पैसा जुटाकर मीटर को रिचार्ज करा भी लिया तो आपको फिक्स कॉस्ट जो है वो लगना ही लगना है. यानी 10 दिन के बाद आपने अगर 1000 का रिचार्ज आपने कराया तो उसमें कुछ फिक्स चार्ज है वो कट जाएगा. मिलेगा 400-500 रुपये. निर्णय सही है या गलत है ये दूसरी बात है, लेकिन लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का काम क्या है जनता की बात आप सुनिए तो सही.


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