जीतन राम मांझी ने कह दिया- वो मानने वाले नहीं, केंद्रीय मंत्री ने दोहराई अपनी ये मांग, NDA में टेंशन बढ़ना तय!
Jitan Ram Manjhi: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी (हम) के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए जहानाबाद पहुंचे थे. पढ़िए यहां उन्होंने क्या कुछ कहा है.

Jitan Ram Manjhi 20 Seat: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी एक मांग को फिर से दोहराया है. रविवार (02 फरवरी) को जहानाबाद के घोसी में आयोजित एक सभा के बाद पत्रकारों से बातचीत में मांझी ने अपनी 20 सीट वाली मांग को दोहराते हुए कहा कि अगर हमें चार रोटी की जरूरत है तो हमें चार रोटी चाहिए. एक रोटी कम होगा तो मांगेंगे. कोई एक कोना देगा तो हम मानने वाले नहीं हैं. जीतन राम मांझी के इस बयान से एनडीए में टेंशन बढ़ना तय है.
दरअसल, इसी साल बिहार में विधानसभा का चुनाव है और मांझी चाहते हैं कि एनडीए में उनकी पार्टी को 20 या उससे अधिक सीट मिले. उन्होंने कहा कि हम 20 सीट जीतकर आएंगे तो सारा काम कर देंगे. इसका मतलब 20 सीट नहीं है, और अधिक सीट मिलेगी तब न 20 सीट जीतेंगे?
जीतन राम मांझी ने शिक्षा को बताया शेरनी का दूध
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी (हम) के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे. मांझी ने यहां उपस्थित लोगों से कहा कि आप अपने बच्चों को शिक्षित कीजिए. शिक्षा शेरनी का दूध है और जो इस दूध को सेवन करता है वह शेर से कम नहीं होता है.
इस दौरान जीतन राम मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जोरदार हमला किया. उन्होंने कहा कि बार-बार तेजस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर जो बयान दे रहे हैं मुझे लगता है कि तेजस्वी का स्वास्थ्य खराब है. पहले उन्हें अपनी जांच करानी चाहिए और रिपोर्ट देनी चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी जिलों में जाकर वहां की विकास योजनाओं की जानकारी ले रहे हैं. विकास की गंगा बहा रहे हैं.
बिहार को बजट में अधिक मिला: मांझी
जीतन राम मांझी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए बजट को लेकर जो तेजस्वी यादव बयानबाजी कर रहे हैं इससे साफ जाहिर होता है कि वह अज्ञानी हैं. बिहार को इस बजट में जितना मिलना चाहिए था उससे अधिक मिला है. तेजस्वी यादव सिर्फ इधर-उधर की बातें करते हैं. उनका विकास से कुछ लेना-देना नहीं है.
मांझी ने आगे कहा कि तेजस्वी को अज्ञानता है क्योंकि समाज को क्या चाहिए इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है. कभी उन्होंने संघर्ष नहीं किया. आंदोलन नहीं किया. कभी जेल नहीं गए. वे बिहार के लिए कुछ करने वाले नहीं हैं क्योंकि वे सिर्फ एक समूह को लेकर चलते हैं और उसी समूह के बारे में सोचते हैं. बिहार में क्या हो रहा है, क्या होना चाहिए, इससे कुछ लेना-देना नहीं है.
महाकुंभ में हुई भगदड़ पर कहा कि जो व्यवस्था होनी चाहिए थी उससे अधिक की गई है. थोड़ी सी गलतफहमी के चक्कर में यह घटना घटी है. वहां की सरकार और प्रशासन के लोगों ने एक बार फिर मोर्चा संभाला है. सब चीज अच्छे ढंग से हो रहा है. विरोधियों की ओर से अनाप-शनाप जो बोला जा रहा है उसमें कोई सत्यता नहीं है.
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