अजब-गजब: कोरोना काल में 35 सालों बाद घर लौटा शख्स, परिजनों ने मरा समझकर कर दिया था अंतिम संस्कार
जागेश्वर ने बताया कि जब वो घर से बाहर निकला था, तो बाहरी दुनिया से अनजान था. दिल्ली में जाकर गुम हो गया था. कुछ दिनों बाद दिल्ली में ही ईंट भट्टा में काम करने लगा. 5 वर्षों तक उसने बंधुआ मजदूरी की.
चतरा: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देश भर में लगे लॉकडाउन में लोग काफी परेशान दिखे. नौकरी छूट जाने की वजह से कई परिवार आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. लेकिन चतरा के एक मजदूर परिवार के लिए लॉकडाउन खुशियों की सौगात लेकर आया. इस परिवार के साथ लॉकडाउन ऐसी घटना हुई, जिसकी कभी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.
दरअसल, जिले के कन्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल गांव का रहने वाला जागेश्वर पासवान कोरोना काल में जब 35 सालों बाद अपने घर लौटा, तो रिश्तेदारों और गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वे अपनी खुशी के आंसू को रोक ना पाए. जानकारी अनुसार 20 साल की उम्र में जागेश्वर काम की तलाश में दिल्ली गया था, फिर लौट कर वापस नहीं आया. परिजन पांच सालों तक उसके घर लौटने का इंतजार करते रहे.
पुरानी बातें बताकर लोगों को दिलाया विश्वास
कहीं से कोई सूचना नहीं मिलने पर परिजनों ने उसे मरा हुआ मान लिया और पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन कोरोना काल में 35 सालों बाद वह अचानक अपने घर लौट आया. पहले तो परिजन और ग्रामीण उसे पहचान नहीं पाए. लेकिन जागेश्वर ने जब बचपन की बातें लोगों को बताई, तब जाकर लोगों को विश्वास हुआ.
उसके घर वापस आने की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में ग्रामीण उसे देखने पहुंचे. जागेश्वर के घर लौटने के बाद परिजनों से लेकर ग्रामीणों तक जश्न का माहौल है. जागेश्वर के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है. अभी गांव में उसके चचेरे भाई रहते हैं. उसने रिश्तेदारों और ग्रामीणों को बताया कि उसने दिल्ली में ही शादी कर ली थी. उसके साथ पत्नी रानी देवी के अलावा पुत्र रवि पासवान और पुत्री राधा कुमारी भी आए हैं.
ढाबे में पत्नी के साथ किया काम
जागेश्वर ने बताया कि जब वो घर से बाहर निकला था, तो बाहरी दुनिया से अनजान था. दिल्ली में जाकर गुम हो गया था. कुछ दिनों बाद दिल्ली में ही ईंट भट्टा में काम करने लगा. 5 वर्षों तक ईंट भट्ठा संचालक उसे बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराता रहा. इस दौरान वहां उसने एक लड़की से शादी कर ली. कुछ दिनों बाद ईंट भट्ठा बंद हो गया. तब दिल्ली स्थित पंजाब ढाबा में पत्नी के साथ काम करने लगा.
ढाबा मालिक भी उसे बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराता था. कभी बाहर नहीं निकलने देता था. जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा, तो किसी तरह वहां से पूरे परिवार के साथ बाहर निकला और घर आने का मन बनाया. कुछ लोगों के प्रयास से वह अपने गांव लौटा. अब जागेश्वर को अपने गांव में ही रहने के लिए आशियाना खोजना पड़ रहा है. उसने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
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