Jitan Ram Manjhi News: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार (09 जून) को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ कई मंत्रियों ने भी शपथ ली. इसमें बिहार के दलित समाज से आने वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक और गया लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद जीतन राम मांझी का भी नाम है. 79 साल की उम्र में मांझी भी मोदी कैबिनेट मंत्री बने हैं. उनके बारे में जानिए.


जीतन राम मांझी भले पहली बार केंद्र में मंत्री बने हैं लेकिन उनका राजनीतिक करियर काफी पुराना है. देश की आजादी के पहले 6 अक्टूबर 1944 में जन्म हुआ. जीतन राम मांझी दलित समुदाय से आते हैं. बिहार के गया जिले के मखदुमपुर प्रखंड के रहने वाले हैं. उनके पिता एक खेतीहर मजदूर थे. मांझी परिवार में आने के साथ उनका मुख्य खानपान चूहा था, लेकिन जीतन राम मांझी ने पढ़ाई-लिखाई पर विशेष ध्यान दी. 1967 में मगध यूनिवर्सिटी के गया कॉलेज से उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की.






कभी टेलीफोन एक्सचेंज में करते थे काम


पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 13 सालों तक टेलीफोन एक्सचेंज में भी काम किया. 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी के जरिए उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. पहली बार 1980 में ही विधायक बने. जीत राम मांझी का बिहार की राजनीति का करियर काफी पुराना है. वह कांग्रेस पार्टी, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड में विधायक के साथ-साथ कई विभागों के मंत्री रहे हैं.


9 महीने तक रहे बिहार के मुख्यमंत्री


2005 में जीतन राम मांझी जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए थे और विधायक बनने के साथ ही वह मंत्री भी बने थे. 2020 में वह 5 दिनों के लिए कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं. 2014 से 2015 तक वह 9 महीने के लिए मुख्यमंत्री भी रहे.


पूरा हुआ जीतन राम मांझी का सपना


जीतन राम मांझी का बिहार की राजनीति में लंबा अनुभव रहा है, लेकिन उनका एक सपना था दिल्ली के लोकसभा जाने का जो अब पूरा हो गया है. 2015 में मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद उन्हें जेडीयू से निष्कासित किया गया और उन्होंने अपनी पार्टी 'हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा' बना ली. 2019 में वह लालू प्रसाद यादव के साथ महागठबंधन में शामिल हुए और गया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. हालांकि लगभग डेढ़ लाख वोटों से हार गए थे. इस बार 2024 में वह एनडीए के साथ रहे और उन्हें पूरा विश्वास था कि इस बार वह जीत जाएंगे. नतीजा उनके पक्ष में आया और वह करी एक लाख वोटों से चुनाव जीत गए. आरजेडी प्रत्याशी कुमार सर्वजीत को उन्होंने हराया है. वह अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं और मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें जगह मिली है.


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