Jitan Ram Manjhi: 2024 का लोकसभा चुनाव खत्म हो गया है और नतीजे भी सबके सामने आ गए हैं. अब बिहार में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है. करीब एक साल से थोड़ा अधिक का वक्त है लेकिन इसके लिए माहौल अभी से तैयार होने लगा है. इस बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने टेंशन वाला बयान दे दिया है जिसके लेकर बिहार के सियासी गलियारे में खलबली मची है. सवाल है कि उनके इस टेंशन वाले बयान के सियासी मायने क्या हैं?


दरअसल जीतन राम मांझी ने बीते 20 जुलाई को अपने अभिनंदन समारोह के दौरान कहा कि हमारी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हमारी तैयारी वैसे 75 से 100 सीटों पर चल रही है जिसमें हम अपने एनडीए के सहयोगियों को मदद करेंगे. यह भी कहा कि 2015 में हमें 25 सीट दी गई थी जिसमें चार सीटों पर बीजेपी के कैंडिडेट उतारने की बात हुई थी, 21 सीटों पर हमारी पार्टी के नेता चुनाव लड़ रहे थे. इस फॉर्मूले के साथ 2025 के चुनाव से पहले जीतन राम मांझी एक बार फिर 25 सीटों का दावा कर दिया है.


मांझी के बयान को एनडीए के नेताओं ने बताया निजी सोच


जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि 2025 के चुनाव में भी सीटों को लेकर एनडीए में खींचतान तय है. हालांकि मांझी के बयान के बाद जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) ने कहा है कि यह उनकी निजी सोच है. एनडीए  में कोई खटपट नहीं है. समय आने पर शीर्ष नेतृत्व बैठकर इसका निर्णय ले लेंगे. आरजेडी ने मांझी के बयान पर तंज कसा और कहा है कि एनडीए में सिर फुटव्वल शुरू हो चुका है. सवाल उठता है कि मांझी की ओर से अभी से ही 25 सीटों पर दावा करने के पीछे की रणनीति क्या है? क्या एनडीएम में किसी सहयोगी दल के लिए खतरे का संकेत है?


राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण कुमार पांडेय ने कहा कि जीतन राम मांझी का बयान कोई बड़ी बात नहीं है. वह अपने कार्यकर्ताओं के बीच संबोधन कर रहे थे और कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए राजनीति में इस तरीके के बयान दिए जाते हैं ताकि कार्यकर्ता उत्साहित रहें और उनके दिमाग में यह चलता रहे कि 25 सीटों पर हमारी पार्टी चुनाव लड़ेगी. उन्होंने बताया कि 2015 में मांझी को 25 सीट मिली थी. उस वक्त जेडीयू-आरजेडी के साथ थी, लेकिन वर्तमान में जेडीयू और बीजेपी एक साथ है तो चिराग पासवान भी मजबूती के साथ एनडीए में हैं. नीतीश कुमार के सहयोगी बने हुए हैं. उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर बीजेपी उन्हें भी नाराज नहीं की है तो निश्चित तौर पर वह भी अपनी पार्टी के लिए सीट की मांगेंगे.


'मांझी जान रहे किसको मिलेंगी कितनी सीटें'


अरुण पांडेय ने कहा कि 2015 में जीतन राम मांझी की पार्टी 21 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन अकेले जीतन राम मांझी ही चुनाव जीते थे. वह दो सीटों पर लड़े उसमें भी एक सीट हार गए थे. ऐसे में किसको कितनी सीट मिलेगी यह अभी कहना मुश्किल है. जीतन राम मांझी भी अच्छी तरह समझते हैं कि 243 सीटों में उन्हें कितनी सीट मिलेगी.


उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों के साथ रहने पर पहले जो भी चुनाव होते रहे हैं उसमें लगभग बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा गया है, लेकिन इस बार निश्चित तौर पर सीटों के बंटवारे में मामला फंस सकता है. क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में 243 सीटों में पहले से बीजेपी 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी और अभी 80 विधायक हैं तो उसकी मांग 100 सीटों से अधिक रहेगी.


आगे कहा कि जेडीयू 44 जीती थी, लेकिन 115 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी अलग चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार वो भी मजबूती के साथ एनडीए में हैं और मुख्यमंत्री नीतीश के काम में समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होगा जितना माना जा रहा है. निश्चित तौर पर विधायकों की संख्या के अनुसार अगर सीटों का बंटवारा होता है तो जेडीयू की नाराजगी भी दिख सकती है.


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