जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से किया किनारा, NDA में शामिल होने की बढ़ी संभावनाएं
जीतन राम मांझी लगातार महागठबंधन में कोर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग कर रहे थे और इसके लिए चार बार अल्टीमेटम दे चुके थे. जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का फैसला ले लिया.
पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लंबे समय से चल रहे खींचतान के बाद बिहार महागठबंधन से अलग होने का फैसला ले लिया है. गुरुवार को आयोजित पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है. हालांकि आगे की रणनीति का खुलासा अब तक नहीं किया गया है. लेकिन माना जा रहा है कि अब वह एनडीए में शामिल सकते हैं. इस बात की जानकारी हम पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने दी है.
हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, " जो लोग गठबंधन के नेताओं की बात नहीं सुनते वह सत्ता के आने के बाद जनता की भी नहीं सुनेंगे. महागठबंधन में रहने की हर कोशिश की पर आरजेडी के कारण गठबंधन में रहना मुश्किल था. महागठबंधन छोड़ने के बाद कहां जाएंगे या क्या होगा इसका फैसला मांझी जी पर छोड़ा गया है."
बता दें कि जीतन राम मांझी लगातार महागठबंधन में कोर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग कर रहे थे और इसके लिए चार बार अल्टीमेटम दे चुके थे. जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का फैसला ले लिया. मालूम हो कि जीतन मांझी ने चुनाव आयोग से पार्टी का चुनाव चिन्ह टेलीफोन के बदल कर दूसरा चुनाव चिन्ह आवंटित करने का दरख्वास्त किया है.
दरअसल, जीतन राम मांझी पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे और चुनाव चिन्ह रहने के लिए वोट का प्रतिशत जितना चाहिए वह नहीं रहने पर उनका चुनाव चिन्ह छीन लिया गया है. ऐसे में जीतन राम मांझी ने कहा कि इलेक्शन कमीशन की कानूनी प्रक्रिया है जो अहर्ता उसमें होगा हमारी पार्टी बदकिस्मती से वैसा नहीं कर सकी तो स्वाभाविक है कि सिंबल बदलेगा. लेकिन हमारे लोगों का कहना है कि अभी जो सिंबल है टेलीफोन उसे गरीब तबके के लोगों को पहचानने में दिक्कत होती है और इसके लिए एकबार बैठक भी हुई थी. उसमें तय हुआ था कि सिंबल बदला जाए. हमलोगों ने इलेक्शन कमीशन में आवेदन दे दिया है, एक सप्ताह के अंदर सिंबल मिल जाएगा.
उन्होंने कहा, " नए सिंबल से कोई परेशानी नहीं होगी, सभी लोग हर चीज बहुत बारीकी से समझ रहे हैं, हमारे वोटर उतने पढ़े लिखे नहीं पर राजनीतिक स्तर से बहुत जागरूक हैं और वो अपने सिंबल को पहचान कर ही वोट करेंगे."