पटना: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार (Bihar Government) के मंत्री संतोष मांझी (Santosh manjhi) ने मंत्री पद से मंगलवार (13 जून) को इस्तीफा दे दिया है. वह जीतन राम मांझी के बड़े बेटे हैं. संतोष मांझी के इस्तीफे से किसका क्या फायदा और क्या नुकसान हो सकता है यह तो वक्त बताएगा, लेकिन सबसे पहले जान लीजिए कि संतोष मांझी कौन हैं. संतोष मांझी को विरासत में राजनीति मिली है. 2018 से उन्होंने बिहार की राजनीति में कदम रखा है.


10 फरवरी 1975 को संतोष मांझी का जन्म हुआ है. राजनीतिक करियर बहुत कम दिनों का है. संतोष मांझी मगध यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर चुके हैं. राजनीति शास्त्र की पढ़ाई की है. सात मई 2018 को एमएलसी बनने के बाद पहली बार 16 नवंबर 2020 में उन्हें मंत्री बनाया गया था. लघु सिंचाई एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री के रूप में उन्होंने पदभार ग्रहण किया था.


इसी साल बने हैं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष


9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हुए. इसमें हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी नीतीश कुमार के साथ रही और संतोष मांझी ने दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली. इसी साल (2023) उन्हें अपनी पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है.


संतोष मांझी की पहचान मुख्य रूप से जीतन राम मांझी के बेटे के रूप में रही है. जीतन राम मांझी चार दशक से बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. जीतन राम मांझी बिहार विधान सभा, बिहार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं. बिहार सरकार में कई बार मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.


जीतन राम मांझी ने कब बनाई पार्टी?


मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार की पार्टी छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम रखा 'हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा'. 2015 में हुए चुनाव में जीतन राम मांझी ने अकेले अपनी जीत दर्ज कराई थे, लेकिन 2020 में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से चार विधायक जीत कर आए थे. इनमें इमामगंज विधानसभा से जीतन राम मांझी के अलावा सिकंदरा विधानसभा से प्रफुल्ल कुमार मांझी, टेकारी विधानसभा से अनिल कुमार और बाराचट्टी विधानसभा से ज्योति देवी ने चुनाव जीता था. अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष मांझी हैं.


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