पटना के NMCH में जूनियर डॉक्टरों ने जमकर काटा बवाल, चौथे दिन भी हड़ताल जारी, OPD के गेट पर लटका रहा ताला
Junior Doctors Strike: जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमें स्टाइपेंड के नाम पर सिर्फ 15 हजार मिलता है जो राज्य भर के मेडिकल अस्पतालों में सबसे कम है. हमें 35 हजार स्टाइपेंड चाहिए.
पटनाः स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पूरे बिहार में मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस जूनियर डॉक्टर पिछले 22 अगस्त से हड़ताल पर हैं. आज चौथे दिन भी हड़ताल जारी रही. पटना के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) में जूनियर डॉक्टरों ने जमकर बवाल काटा. जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा को बाधित कर दिया था जिससे मरीजों को समस्या हुई. जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी में ताला लगा दिया था जिससे सीनियर डॉक्टर भी मरीजों का इलाज ओपीडी में नहीं कर पाए.
अस्पताल प्रशासन जूनियर डॉक्टरों के सामने घुटने टेक चुका है. वहीं, नीतीश सरकार की तरफ से अभी तक डॉक्टरों की कोई मांग पूरी नहीं की गई है. बिहार के कई जिलों से भी मरीज इलाज कराने के लिए अस्पताल आ रहे हैं लेकिन जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीज के परिजनों और डॉक्टरों के बीच भी नोकझोंक देखने को मिल रही. अस्पताल में स्थिति तनावपूर्ण है.
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जूनियर डॉक्टरों ने कहा- 35 हजार चाहिए स्टाइपेंड
जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमें स्टाइपेंड के नाम पर सिर्फ 15 हजार मिलता है जो राज्य भर के मेडिकल अस्पतालों में सबसे कम है. पटना आईजीआईएमएस (Patna IGIMS) में जूनियर डॉक्टरों को 25 हजार रुपया मिलता है. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम लोगों को सरकार 35 हजार रुपया स्टाइपेंड दे तब हड़ताल खत्म करेंगे. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि सिर्फ इमरजेंसी सेवा को छोड़कर बाकी सभी विभागों में इलाज बाधित है. मरीजों से नोकझोंक पर जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम लोग मरीजों को मना करते हैं कि पर्ची नहीं कटवाएं, लेकिन वे लोग पर्ची कटवा कर इलाज के लिए जिद करते हैं. इस कारण नोकझोंक हो जाती है. हमारी मरीजों से कोई लड़ाई नहीं है. हमारी मांग सरकार से है.
इस मामले पर एनएमसीएच अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि हमारे सभी सीनियर डॉक्टर और पीजी डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से इलाज प्रभावित नहीं हो सकता है, लेकिन ये लोग लगभग सौ की संख्या में एनएमसीएच में हैं और हंगामा कर मरीजों का इलाज बाधित कर रहे हैं. इस कारण भी परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने स्वास्थ्य सचिव को लिखित आवेदन दिया है. जब तक वरीय अधिकारी का कोई आदेश नहीं आता है हम लोग क्या कर सकते हैं.
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