गोपालगंज: बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की लिस्ट काफी बड़ी है. चुनावी मौसम में सता पक्ष के लोग हों या विपक्ष के, सभी इनकी सहारे अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं. कई पूर्व मुख्यमंत्रियों ने तो अपनी चुनावी बैतरनी इनके कंधो पर बैठकर ही पार किया. इन बाहुबलियों की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम आता है. पूर्व बाहुबली सांसद काली पांडेय का.


काली पांडेय 80 -90 के दशक में बिहार के तमाम बाहुबलियों के गुरु बन गए थे. एक समय में जरायम की दुनिया में काली पांडेय का नाम सुर्खियों में रहता था लेकिन आज काली पाण्डेय नेता राजनेता बन गए हैं.


कौन हैं बाहुबलियों के गुरु काली पांडेय


काली पांडेय गोपालगंज के रमजीता निवासी और लोक सभा के पूर्व सदस्य हैं. 80 -90 के दशक में ये बिहार के तमाम बाहुबलियों के गुरु बन गए थे. अपने ऊपर लगे संगीन आरोपों के कारण जेल की सजा काट चुके काली पांडेय 1984 में गोपालगंज से लोक सभा के चुनावी मैदान में उतर गए. जिसके बाद बड़े- बड़े नेताओं की नींद उड़ गयी थी. तत्कालीन समय में इनके साथ कोई पार्टी नहीं थी. ये निर्दलीय चुनाव लड़े और और ऐतिहासिक वोट से चुनाव जीत गए. 1884 के चुनाव में इन्हें रिकॉर्ड तोड़ वोट मिले थे. पूरे देश में सबसे अधिक वोटों से जीतने वाले काली पांडेय इकलौता लोकसभा के सदस्य बन गए थे. जिसके बाद उन्हें लोक सभा में सम्मानित किया गया था.


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ऊतर बिहार के इलाकों में रॉबिनहुड वाली थी काली पाण्डेय की छवी


कहा जाता है कि काली पांडे का उत्तर बिहार के इलाकों में बड़ा जनाधार है. जिनकी ब्रह्मणों पर मजबूत पकड़ है. पुराने दिनों में काली पाण्डेय एक ऐसे बाहुबली थे. जिनकी रॉबिनहुड की छवि थी. आज भी काली पांडेय के काफिले में दर्जनों गाड़ियां और पचास राइफल धारी प्राइवेट बॉडीगार्ड तैनात रहते हैं. इनके विरोधी और दुश्मन आज भी इनसे थर-थर कांपते हैं.


काली पांडे को इलाके में दबंग माना जाता है लेकिन अपनी छवि को लेकर हमेशा कहते आए हैं कि इलाके की जनता इसलिए उनसे नहीं डरती क्योंकि वो एक बाहुबली हैं बल्कि इलाके के लोग उनकी इज्जत करते हैं. 


गोपालगंज के कद्दावर नेता नगीना राय पर बम फेंक कर मारने की कोशिश करने का लगा था आरोप


साल 1989 में पटना जंक्शन पर नगीना राय के ऊपर बम से हमला हुआ था. बाद में इसका आरोप पूर्व बाहुबली सांसद काली पांडे के ऊपर लगा लेकिन इसमें वो बच गए . 1989 में काली पांडे ने राजीव गांधी का समर्थन किया और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. 1989 और 1991 के चुनाव में काली पांडे ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़े.  बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर लालू यादव की पार्टी आरजेडी जॉइन कर ली और 1999 में लोकसभा का चुनाव भी लड़े. 


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काली पाण्डेय पर भले ही बड़े-बड़े आरोप लगे लेकिन वो कभी साबित नहीं हो पाए 


जानकारों के मुताबिक बाहुबली काली पाण्डेय के ऊपर कई बड़े आरोप लगे लेकिन आजतक साबित नहीं हो पाए. पुलिस उनकी अपराध पर नकेल कसती रही. आरोपों के बाद साक्ष्य जुटाती रही लेकिन कभी कोर्ट में साबित नहीं कर पायी. जिसके बाद काली पाण्डेय लूट, हत्या , अपहरण के मामले में बरी होते गए .
कई सालों तक कांग्रेस, आरजेडी में रहने के बाद काली पांडे दिवंगत नेता रामविलास पासवान के बुलाने पर लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए थे. एलजेपी में काली पांडे ने कई अहम पदों की शोभा भी बढ़ाई थी हालांकि हाल ही में उन्होंने एलजेपी को छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था और तब से काली पांडेय अपने घर पर ही विश्राम की अवस्था में हैं.


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