पटना: बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत (Kangana Ranaut) द्वारा 1947 में मिली आजादी पर दिए गए बयान पर विवाद जारी है. बयान की आड़ में नेता एक दूसरे को घेरने में लगे हुए हैं. शुक्रवार को सुशील मोदी (Sushil Modi) ने शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) पर निशाना साधा था. अब शनिवार को शिवानंद तिवारी ने बीजेपी (BJP) नेता के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी बहुत चतुराई के साथ कंगना रनौत के बयान का बचाव कर रहे हैं. जबकि कंगना का बयान न सिर्फ आजादी के लिए पुरखों के महान संघर्ष को अपमानित करता है, बल्कि अनेकों कुर्बानी के बाद अंग्रेजों की गुलामी से मिली हमारी मुक्ति को भी जलील कर रहा है. 


कंगना कोई साधारण अभिनेत्री नहीं


उन्होंने कहा, " सुशील कंगना को एक साधारण अभिनेत्री का बयान बता कर उसको महत्वहीन साबित करने की नाजायज चेष्टा कर रहे हैं. कंगना कोई साधारण अभिनेत्री नहीं हैं. फिल्म जगत की वह एकमात्र अभिनेत्री हैं जिनको भारत सरकार ने वाइ प्लस कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की है. उस बयान के दो-तीन दिन पहले कंगना को नरेंद्र मोदी की सरकार ने पद्म सम्मान से विभूषित किया था."


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शिवानंद तिवारी ने कहा, " एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में उन्होंने वह बयान दिया था. सुशील मोदी पुराने नेता हैं. सरकार के कई पदों को सुशोभित कर चुके हैं, लेकिन मुझे गंभीर संदेह है कि जिस तरह के कार्यक्रम में कंगना विशिष्ट अतिथि थीं, उस तरह के कार्यक्रम में सुशील मोदी को न्योता भी मिलता होगा या नहीं."


सुशील मोदी इन सवालों का दें जवाब


आरजेडी नेता ने कहा, " मुझे नहीं मालूम है कि सुशील मोदी के पुरखों की आजादी की लड़ाई में क्या भूमिका थी. लेकिन इतिहास गवाह है कि मेरे पिता रामानंद तिवारी आजादी के उस महान संघर्ष में अपनी जान हथेली पर लेकर कूद गये थे. जेल की सजा भोगी थी. इसलिए मुझे लगा कि कंगना अपने बयान से मेरे पिताजी के संघर्ष को भी अपमानित और जलील कर रही हैं. इसलिए मैं उस बयान का पुरजोर विरोध कर रहा हूं."


अंत में उन्होंने कहा, " बात बात में दूसरों से सवाल पूछने वाले सुशील मोदी बताएं कि क्या वह 15 अगस्त 1947 को मिली हमारी आजादी को कंगना की तरह ही भीख मानते हैं. उनको यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे कंगना ही की तरह नरेंद्र  मोदी के सत्तारूढ़ होने के वर्ष 2014 को ही देश की आजादी का असली वर्ष मानते हैं. सुशील पहले इन सवालों पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करें. बाकी सवालों पर उनके साथ सार्वजनिक रूप से चर्चा करने के लिए मैं तैयार हूं."



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