(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Karpoori Thakur Jayanti: रोचक है कर्पूरी ठाकुर की बेटी की शादी वाली कहानी, रांची जाने के लिए ले ली थी भाड़े पर टैक्सी
Jannayak Karpoori Thakur Birth Anniversary: कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था. दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे. जानिए रोचक बातें.
पटना: आज पूरा देश आज जननायक कर्पूरी ठाकुर (Jannayak Karpoori Thakur) की जयंती मना रहा है. बिहार की सभी पार्टियां कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों पर चलने की बात करती हैं, लेकिन इतना आसान नहीं है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के एक गांव पितौंझिया में हुआ था. 1952 में बिहार विधानसभा में विधायक के रूप में चुनकर आए और 1988 तक वह 36 साल बिहार के विधानसभा सदस्य के रूप में विधायक रहे. दो बार बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे, लेकिन सबसे गरीब नेता के रूप में कर्पूरी ठाकुर की पहचान थी.
अपनी भत्ता के अलावा वह एक पैसे भी किसी से अतिरिक्त नहीं लेते थे. स्वच्छ और साफ छवि की पहचान रखने वाले कर्पूरी ठाकुर की बहुत सारी कहानियां हैं. उसमें एक रोचक कहानी उनकी बेटी की शादी की है. बात उस समय की है जब कर्पूरी ठाकुर 1970 और 71 के बीच मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उस समय अपनी बेटी के लिए लड़का देखने के लिए उन्हें रांची जाना था. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री की सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया और भाड़े पर टैक्सी लेकर वे रांची गए थे.
चाहते थे कि देवघर मंदिर में हो शादी
शादी तय हो गई. मुख्यमंत्री काल में ही उनकी बेटी की शादी हुई थी. उनकी इच्छा थी कि बेटी की शादी सादगी के तहत देवघर मंदिर में करें, लेकिन पत्नी की इच्छा के कारण गांव पितौंझिया में शादी हुई. कर्पूरी ठाकुर ने अपनी पत्नी की इच्छा को पूरा किया लेकिन उस शादी में उन्होंने किसी नेता या अपने किसी साथी को आमंत्रित नहीं किया था. इतना तक की मुख्यमंत्री के साथ रहने वाले सुरक्षाकर्मी, जिला प्रशासन किसी को भी आने की अनुमति नहीं दी गई थी.
कर्पूरी ठाकुर ने मुख्यमंत्री के तहत आदेश दिया था कि उस दिन बिहार सरकार की आने वाली दरभंगा और सहरसा हवाई अड्डा पर कोई हवाई जहाज नहीं उतरेगा, ताकि उससे कोई नेता नहीं पहुंच जाए. इतनी सादगी से बेटी की शादी की थी. कर्पूरी ठाकुर इतने दिनों तक विधायक और मुख्यमंत्री रहे लेकिन एक गाड़ी तक नहीं खरीद पाए थे.
कर्पूरी ठाकुर ने अपने बहनोई को दिए थे 50 रुपये
कर्पूरी ठाकुर बहुत ज्यादा ईमानदार व्यक्ति थे. एक और कहानी है. एक बार उनके बहनोई उनके पास आए और कहा कि आप सिफारिश करके नौकरी लगवा दीजिए. उन्होंने काफी सोचा और 50 रुपया अपनी जेब से निकालकर दिया. कहा कि जाइए अपना पुश्तैनी धंधा बाल दाढ़ी बनाने का सामान खरीदिए और काम करिए.
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