पटनाः बिहार सरकार (Bihar Government) में कानून मंत्री बनाए जाने के बाद विवादों में रहे कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) ने अपने इस्तीफे को लेकर बयान जारी किया है. गुरुवार को कार्तिकेय सिंह ने बताया कि आखिर क्यों उन्हें करीब 15 दिनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा है. उन्होंने कहा कि 15 दिन से हम बीजेपी (BJP) के लोगों को पच नहीं रहे थे. भूमिहार समाज से आरजेडी (RJD) कोटे में मंत्री होना उनको अच्छा नहीं लग रहा था. इसलिए मीडिया ट्रायल करवाया जा रहा था और तरह-तरह का आरोप लगाया जा रहा था.


कार्तिकेय ने कहा- "मेरा इतिहास देख लीजिए, मेरे बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे. मेरे पिता जी हाई स्कूल के शिक्षक थे. मैं 28 साल तक सरकारी शिक्षक रहा. हमलोग जमीन से जुड़े हुए लोग हैं. मुझे विधायक अनंत सिंह के साथ जोड़कर देखा जाता है तो वो 17 साल से मोकामा से विधायक रहे. मेरा भी घर मोकामा है. आज तक मेरे ऊपर कोई केस दर्ज नहीं हुआ. 2015 में सिर्फ एक केस में मेरा नाम जोड़ा गया जब मेरा नाम एफआईआर में नहीं है."


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कार्तिक कुमार ने कहा कि 9 महीने के बाद घटनास्थल से पांच किलोमीटर दूर दिखाया जाता है कि एक गाड़ी में ‘मास्टर साहब’ को भी देखा गया है. इस मामले में वरीय पदाधिकारी ने जांच कर निर्दोष साबित किया कि मेरी कोई संलिप्तता नहीं है. ऐसे में कोरोनाकाल भी था तो हमलोग निश्चिंत होकर बैठ गए. उसी समय जब संज्ञान लिया गया था इस मामले में तो मेरा भी नाम आ गया.


बीजेपी के लोगों ने मचाया हाय-तौबा


कहा कि न्यायालय पर मुझे भरोसा है कि न्याय मिलेगा. बीजेपी के लोगों ने इतना हाय-तौबा मचा रखा था कि लगा कि मेरी पार्टी का, हमारे नेता की छवि खराब हो रही है. मेरी छवि खराब हो रही है. सीएम नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की प्रतिष्ठा धूमिल न हो इसलिए मैंने इस्तीफा दिया है.  


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