पटनाः बिहार में महागठबंधन (Mahagathbandhan) सरकार में सबसे अधिक मंत्री आरजेडी (RJD) से बनाए गए हैं. आरजेडी से मंत्री बनने वालों की संख्या कुल 16 है. हालांकि मंत्रालयों का बंटवारा होते ही आरजेडी कोटे से कानून मंत्री बनाए गए कार्तिक कुमार ऊर्फ कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) विवादों में आ गए हैं. पटना के बिहटा थाना में उनके खिलाफ कांड संख्या 859/14 दर्ज है. इस मामले में कार्तिक सिंह सहित कुल 17 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. सबसे बड़ी बात है कि जिस दिन वो शपथ ले रहे थे उस दिन उन्हें कोर्ट में पेश होना था.
दरअसल, कार्तिकेय सिंह पर अपहरण का आरोप है. 16 अगस्त को कार्तिक कुमार को प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी, कोर्ट संख्या - 05 दानापुर, पटना के न्यायालय में पेश होना था, लेकिन वह कोर्ट में उपस्थित नहीं. न ही उन्होंने आत्मसमर्पण किया है. 16 अगस्त को उन्होंने बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के सामने मंत्री पद की शपथ भी ले ली. जबकि नियम के अनुसार कार्तिकेय सिंह को कोर्ट जाना चाहिए था.
नियम का किया गया उल्लंघन?
दरअसल, यह पूरा मामला 2014 का है. राजीव रंजन की 2014 में किडनैपिंग हुई थी. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था. इस मामले कुल 16 आरोपियों में कानून मंत्री बने कार्तिकेय सिंह का भी नाम है. उनके खिलाफ अदालत ने वारंट जारी किया है. 16 अगस्त उन्हें कोर्ट पहुंचना था लेकिन वो नहीं गए. कार्तिकेय सिंह राजभवन पहुंच गए. यहां उन्होंने शपथ ली. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ये कोर्ट के नियम का उल्लंघन नहीं है?
बता दें कि बिहार सरकार में मंगलवार को कुल 31 मंत्रियों ने शपथ ली है. आरजेडी (RJD) से 16, जेडीयू (JDU) से 11, कांग्रेस (Congress) से 2, हम (HAM) से एक और निर्दलीय एक विधायक सुमित कुमार सिंह. कई नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. तेजस्वी यादव पर अकेले 11 केस दर्ज हैं.
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