पटना: देशभर में खासकर के उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में छठ का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है. छठ (Chhath Puja) चार दिनों का पर्व होता. दीपावली के बाद चौथे दिन नहाए खाए के बाद पांचवे दिन खरना (Kharna 2022) से असल छठ पर्व की शुरुआत होती है. इस साल खरना 29 अक्टूबर को पड़ रहा. छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है. खरना का मतलब है शुद्धिकरण. छठ के व्रत में सफाई और स्वच्छता का बहुत महत्व है. पहले दिन नहाए खाए पर जहां तन की स्वच्छता होती है. वहीं दूसरे दिन खरना पर मन की स्वच्छता पर ज्यादा जोर दिया जाता है. खरना के दिन तन मन से शुद्ध होकर छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है. व्रती 36 घंटे का उपवास रखती हैं.


रोटी और गुड़ की बनी खीर होती खरना का प्रसाद


चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व के दूसरे दिन खरना पर व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं. इस दिन शाम में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी पर खाना बनाते हैं. इसके बाद केले के पत्ते पर खाना खाने का रिवाज है. खाने में रोटी और गुड़ की बनी खीर के साथ ही केला खाने का भी विधान है. छठी मैया को प्रसाद चढ़ाने के बाद शाम में व्रती बंद कमरे यानी पूजा रूम में ये प्रसाद खाती हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रहता है. ध्यान रहे कि जिस कमरे में छठी मैया का खरना किया जाता उसी कमरे में व्रती ये प्रसाद खाती हैं. इसके बाद व्रती द्वारा प्रसाद परिवार के सदस्यों को बांटा दी जाती. पूजा घर में ही व्रती सोती हैं.


आम की लकड़ी पर खरना बनाना माना जाता है उत्तम


इस दिन देवता को चढ़ाए जाने वाले खीर को व्रती खुद ही पकाती हैं. खरना के दिन जो प्रसाद बनता है उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता. इस दौरान व्रती खीर अपने हाथों से पकाती हैं. इसमें ईंधन के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता. आम की लकड़ी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि इसे उत्तम माना जाता है. बता दें कि अलग चूल्हे और अलग स्थान पर खरना बनाया जाता. वहीं आजकल शहरों में लोग नए चूल्हे पर घर में छठ के खरना का प्रसाद बनाते. वहां चूल्हा और आम की लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पाती. खास ध्यान रहे कि यह प्रसाद किचन में नहीं बल्कि किसी अन्य साफ-सुथरे स्थान पर बनाई जाती है.


उपवास के दौरान बनता छठी मैया का प्रसाद ठेकुआ, पेडुकिया


इस दौरान खास ध्यान रखना होता है कि खरना वाले दिन घर का कोई भी सदस्य प्याज लहसन या तामसिक भोजन का सेवन ना करें. साथ ही मान्यता यह भी है कि इस दिन घर के सदस्य व्रती द्वारा दिए भोजन ग्रहण करने के बाद ही खाना खाते हैं. खरना के दिन खीर के साथ रोटी भी बनती है. जो खीर होती है वह गुड़ वाली होती है. प्रसाद में खीर और रोटी के साथ मौसमी फल और केला भी शामिल किया जाता. उसे एक साथ रखकर केले के पत्ते पर छठी माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके बाद व्रती खुद भी इस प्रसाद को ग्रहण करके बाकी लोगों को खिलाती हैं. इसके साथ ही खरना के उपवास के दौरान छठी मैया को चढ़ने वाले पकवान यानी कि ठेकुआ, पेडुकिया और अन्य सामग्री बनाती हैं. इसे अर्घ्य देने के दौरान टोकरी में रखकर छठी मैया को चढ़ाए जाते हैं.


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