पटना: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) की विभाग में जब से एंट्री हुई है हड़कंप मचा हुआ है. पूरे बिहार के सरकारी स्कूलों में लगातार अधिकारी औचक निरीक्षण तो कर ही रहे हैं अब केके पाठक की नजर बिहार के निजी कोचिंग संस्थानों पर भी है. केके पाठक के निर्देश के अनुसार अब सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक कोई भी कोचिंग संस्थान नहीं चलाए जाएंगे. इस समय को छोड़कर किसी भी समय में वह पूरी तरह स्वतंत्र है. इसके लिए 31 अगस्त के बाद विभाग कार्रवाई करेगा.
अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को पत्र के जरिए निर्देश दिया है कि एक अगस्त से सात अगस्त तक सभी कोचिंग संस्थानों की लिस्ट बना लें. इसके बाद आठ से 16 अगस्त के बीच में उन सभी कोचिंग संस्थानों के संचालकों के साथ बैठक करके उन्हें यह निर्देश दें कि सुबह 9 बजे से 4 बजे तक कोचिंग नहीं चलाएं. 16 से 31 अगस्त दंडाधिकारी नियुक्त करके जो कोचिंग संस्थान उस समय में खुले रहेंगे उनको चेतावनी दें. अगर 31 अगस्त के बाद भी कोचिंग संस्थान समय में बदलाव नहीं करते हैं तो उन पर शिक्षा विभाग द्वारा आगे की कार्रवाई करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा.
कोचिंग संस्थान पर हो सकती है कार्रवाई
केके पाठक ने पत्र में यह भी लिखा है कि सभी जिलाधिकारी कोचिंग संस्थानों के मालिकों को यह भी निर्देश दें कि कोचिंग संस्थान में अगर सरकारी या गैर सरकारी शिक्षक पढ़ाते हैं तो उन्हें अविलंब हटा दें. इसकी सूचना जिलाधिकारी को दें नहीं तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.
कोचिंग संस्थान पर निर्णय लेने का कारण पत्र में बताया गया है. लिखा गया है कि एक जुलाई 2023 से विद्यालयों में गहन अनुश्रवण की व्यवस्था स्थापित की गई है. 25 हजार से अधिक विद्यालयों का अनुश्रवण हो रहा है. इसमें डीएम से लेकर कई बड़े अधिकारी औचक निरीक्षण कर रहे हैं. इस दौरान यह पाया गया है कि नौ से चार बजे तक कोचिंग संस्थान खुले होने के कारण छात्रों की उपस्थिति कम पाई जा रही है. खासकर 9वीं से लेकर 12वीं तक के क्लास में यह स्थिति देखी जा रही है. इसके साथ ही स्कूल के कई शिक्षक भी कोचिंग में इस अवधि में पढ़ाने चले जाते हैं. इसको लेकर शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है.
75 फीसद से कम ने हो अटेंडेंस
शिक्षा विभाग ने छात्रों के लिए भी कड़ा निर्देश जारी किया है. केके पाठक ने जिलाधिकारी को दिए पत्र में लिखा है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा एक नीतिगत निर्णय लिया गया है और सूचना भी प्रकाशित की गई है कि अगर छात्र का अटेंडेंस 75 फीसद से कम रहेगा तो वे बोर्ड की परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं.
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