Bihar News: बिहार (Bihar) में वीआईपी (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) इन दिनों अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं. वहीं उनकी पार्टी के तीनों विधायक भी बीजेपी (BJP) में चले गए हैं. जबकि जुलाई में उनके विधान परिषद का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है. ऐसे में बीजेपी कई नेता उनका इस्तीफा मांग रहे हैं. वहीं एक और बात उनके चर्चा का कारण बनी हुई है, उनका बंगला नंबर छह.


क्या है मामला
दरअसल, बिहार के पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी को मंत्री बनने के बाद बंगला नंबर छह दिया गया था. बताया जाता है कि उनसे पहले इस बंगले में 12 साल के दौरान तीन मंत्री रहे लेकिन तीनों में से किसी ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. कोई न कोई कारण से उन्हें दो सालों के अंदर ही अपना पद छोड़ना पड़ा. ऐसे में इस बंगले को अपशगुन वाला बंगला माना जा रहा है. 


कौन-कौन रहा
पिछले 12 सालों के दौरान ये बंगला राज्य सरकार के तीन मंत्रियों को दिया गया. जिनमें पूर्व मंत्री अवधेश कुशवाहा, आलोक मेहता और मंजू वर्मा हैं. इनमें से किसी का कार्यकाल पांच साल नहीं चल सका. 2010 में ये बंगला जदयू कोटे के मंत्री अवधेश कुशवाहा को दिया गया. वे उत्पाद विभाग के मंत्री थे और वे रिश्वतखोरी के मामले में फंसे जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद 2015 में ये बंगला राजद-जदयू की सरकार में सहकारिता मंत्री आलोक मेहता को मिला. मंत्री बने डेढ़ साल भी नहीं हुए कि सरकार चली गई. नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन से सीएम बने और आलोक मेहता का मंत्री पद चला गया. 


मंजू वर्मा भी रहीं 
इन दोनों के बाद नंबर मंजू वर्मा का आया. उन्हें मंत्री रहते ये बंगला आवंटित किया गया. लेकिन उनपर भी मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह मामले में लिप्त होने का आरोप लगा और मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि इन सबके बाद पिछले दिनों इस बंगले के गेट से मुकेश साहनी की नेम प्लेट नहीं होने के बाद फिर चर्चा शुरू हुई लेकिन तभी पता चला की बंगला में कुछ काम चल रहा है.


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