पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार की नेतृत्व में एनडीए सरकार की गठन हो चुकी है. नीतीश कुमार समेत कैबिनेट के सभी 15 मंत्रियों को मंत्रालय भी सौंप दिया गया है. इस बार शिक्षा मंत्री मेवलाल चौधरी के अलावा जो मंत्री सबसे अधिक चर्चे में हैं वो हैं जेडीयू नेता शीला मंडल. मधुबनी जिले के फुलपरास विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बनी शीला मंडल को नीतीश सरकार में परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
पहली बार विधायक बनने के बाद बड़े-बड़े नेताओं को पीछे छोड़ते हुए सीधे मंत्री मंडल जगह बनाने वाली शीला मंडल की हर तरफ चर्चा हो रही है. सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यह कौन हैं जिसे नीतीश कुमार ने पहली बार विधायक बनते ही मंत्री बना दिया, तो आपको बता दें कि अति पिछड़ी जाति से आने वाली शीला मंडल के परिवार का जेडीयू और राजनीति से काफी पुराना नाता है.
बता दें कि शीला मंडल के चचेरे ससुर धनिक लाल मंडल भी फुलपरास सीट से विधायक रह चुके हैं. साथ ही साथ उन्होंने बिहार विधानसभा के स्पीकर की भी भूमिका निभाई है. देश में इमरजेंसी लगने के बाद 1977 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो धनिक लाल मंडल झांझरपुर से सांसद बने और मोरारजी देसाई की सरकार में गृह राज्यमंत्री भी रहे. वे 1990-95 तक हरियाणा के राज्यपाल भी रहे.
शीला मंडल के जेठ और धनिक लाल मंडल के बेटे भूषण मंडल लौकहा विधानसभा से राजद की टिकट पर विधायक बने हैं. शीला मंडल की शादी 1991 में हुई थी और उनके पति इंजीनियर हैं. दोनों को एक बेटा और एक बेटी है. क्वालिफिकेशन की बात करें तो शीला पोस्ट ग्रेजुएट हैं और उन्हें कविताएं लिखने का शौक है.
इस बार के चुनाव में शीला मंडल को फुलपरास विधानसभा सीट से दो बार की सीटिंग गुलजार देवी का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया था. ऐसे में चुनावी मैदान में विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार के साथ ही उनके खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर ओर गुलजार देवी भी मैदान में थीं. लेकिन शीला ने नीतीश कुमार के विश्वास को कायम रखते हुए कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को लगभग 10,000 वोटों से हराकर जीत हासिल की, जिसके बाद नीतीश सरकार में उन्हें कैबिनेट में जगह मिली.
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