पटना: बिहार विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान शुक्रवार को विपक्ष ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 को लेकर जमकर हंगामा किया. विपक्ष ने एक स्वर में बिल का विरोध किया और बिल की प्रति सदन में ही फाड़ डाली. हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. अब सदन की कार्यवाही 23 मार्च को शुरू की होगी और 23 को ही बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 पेश किया जाएगा. हालांकि, विपक्ष के तेवर को देखकर बिल के पास होने पर संदेह है.
बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में 23 मार्च को पेश होने वाला बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 क्या है, पहले ये समझें. बिहार सरकार राज्य में कानून राज कायम करने के लिए एक कानून लाना चाहती है, जिसके तहत बिहार पुलिस के अधिकारियों को कुछ विशेषाधिकार दिए जाएंगे, जिसका प्रयोग कर वो बिहार में कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू कराएंगे.
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 के पास हो जाने के बाद पुलिस के पास मुख्यतः ये अधिकार होंगे-
1. बिना वारंट के गिरफ्तार करने की शक्ति
2. बिना वारंट के तलाशी लेने की शक्ति
3. गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रकिया
4. जघन्य अपराधियों के लिए दंड
5. न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया
अब इसे विस्तार से समझें, ये बिल अगर बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पास हो जाता है तो बिहार पुलिस के पास पूरा अधिकार होगा कि वो किसी भी शख्स को बिना वारंट के हिरासत में ले सकती है. वहीं, किसी के घर की या अन्य प्रेमिसेस की तलाशी के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं होगी. वहीं, गिरफ्तारी के बाद आरोपित के साथ जो कानूनी प्रक्रिया जाती है, उसके लिए भी पुलिस स्वतंत्र होगी. जघन्य अपराध लिए दंड देने का अधिकार पुलिस के पास होगा. वहीं, सबसे महत्वपूर्ण यह कि कोर्ट किसी भी मामले में तभी दखल देगी जब पुलिस उनसे ऐसा करने को कहेगी.
पुलिस को मिलने वाली इन्हीं अधिकारों का विपक्ष विरोध कर रही है. विपक्ष के नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 मंगलवार यानि 23 मार्च को सदन में पेश होने वाला है. सदन में पूरे विपक्ष ने अध्यक्ष महोदय से आग्रह किया था कि इसे प्रवर समिति को भेज दिया जाए.
उन्होंने कहा, " ये विधेयक एक काला कानून है, इसके तहत बिना वारंट गिरफ्तारी और तलाशी लेने की शक्ति पुलिस को दी जा रही है. वहीं, न्यायालय द्वारा इसपर संज्ञान लेने की प्रक्रिया नहीं है. बिहार सरकार हिटलरशाही चलाना चाहती है. गलत कामों संलिप्त सरकार खुद को बचाने के लिए पुलिस को इतना अधिकार दे रही है."
भाई वीरेंद्र ने कहा, " हमसे हमारा मौलिक अधिकार छीना जा रहा है. ऐसे में विपक्ष चाहती है कि इस विधेयक को प्रवर समिति को भेज दिया जाए, ताकि विचार के बाद इसे लागू किया जाए. विधेयक फाड़ना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है. सरकार कानून लाकर मौलिक अधिकार का हनन करना चाहती है. विपक्ष को परेशान करने की ये साजिश रची गई है. "
वहीं, मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि किसी विधायक या सांसद को कागज फाड़ने से कौन रोक सकता है. उनका ये हक है और वो उसका उपयोग कर सकते हैं. वो सदन में भी उसका उपयोग कर सकते हैं, लेकिन लोकतंत्र की खूबसूरती तब बढ़ती जब वो समय पर उस चीज़ को उठाते, विरोध करते और सरकार को सुझाव देते. उन्हें इस चीज़ का ज्यादा लाभ मिलता, ज्यादा अच्छा होता.
उन्होंने कहा कि हमने ये बात सदन में भी कही, लेकिन उन्होंने सुनी नहीं. सदन में बिल बांटा गया और उसपर बहस होगी, विपक्ष को उसपर संसोधन देने का अधिकार है. वो संशोधन देंगे उसपर बहस होगी, उसके बाद तय होगा कि बिल रुकेगा की पास होगा.
यह भी पढ़ें -
कोरोना संक्रमण की वजह से बिहार में स्कूल-कॉलेज 19 जून तक बंद! जानें- खबर के पीछे की सच्चाई
तेज प्रताप ने सत्ताधारी दल के नेताओं पर साधा निशाना, कहा- जनता के मुद्दे सुनकर 'तिलमिला' जाते हैं सभी