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कोशी की त्रासदी से बचे किसान अब कीटों से परेशान, हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल बर्बाद
तटबंध के भीतर हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल कीटों की वह से बुरी तरह प्रभावित हो गई है . पिछले साल भी इन किसानों के मक्का , मूंग और धान की फसलों को इन कीटों ने नुकसान पहुंचा था लेकिन तब भी कृषि विभाग लापरवाह बना रहा.
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सुपौल : सुपौल में एक बार फिर कोसी तटबंध के भीतर बसे सैकड़ों किसानो की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हर साल कोसी से तबाही तो इस बार कीड़े ने उनकी गैंहू की फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है. तटबंध के भीतर हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल कीटों की वह से बुरी तरह प्रभावित हो गई है . पिछले साल भी इन किसानों के मक्का , मूंग और धान की फसलों को इन कीटों ने नुकसान पहुंचा था लेकिन तब भी कृषि विभाग लापरवाह बना रहा.
कोसी तटबंध के भीतर बसे गांव घूरन, दिधिया , मुसहरनियां के किसान तो इन कीटों ने पूरी तरीके से तबाह कर दिया है. हजारों हैक्टेयर में लगी गेहूं की फसलें प्रभावित हो गई हैं. जिसकी वजह से किसानों की माथे पर चिंता की लकीर खींची जा रही है .इन किसानों की फसलें पिछले तीन सालों से प्रभावित हो रही हैं. लेकिन कृषि विभाग ने अब तक इनकी मदद नही की .बाहर से हरे भरे दिखने वाले खेतों को ये कीङे अंदर से खोखला कर रहे है.
बीते तीन सालों से परेशान किसानों को जब कृषि विभाग से मदद नही मिली तो इन्होने अपनी शिकायत पूर्व विधान परिषद सभापित हारुण रसीद से की, जिसके बाद पहुंची पौधा संरक्षण विभाग की टीम ने खेतों का जायजा लिया और किसानों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया. लेकिन कृषि विभाग में द्वारा किसानों के लिए दिए जाने वाले राहत इनके लिए काफी कम है.
किसानों के इस नुकसान पर कृषि विभाग के अधिकारीयों का कहना है कि किसानों में जागरुकता की कमी है. अब कृषि विभाग किसानों में जागरुकता की कमी का हवाला देकर ये सवाल खङा कर दिया कि आखिर कृषि विभाग पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद किसानों को उनकी समस्या से निदान दिलाने में विभाग क्यों अक्षम है .
बहरहाल अब जरुरत है कि सरकार को इन किसानों के लिए एक बेहतर पहल करने की ताकि समय रहते इनकी फसलों को बचाया जा सके. किसान अगर खुशहाल रहेंगे तभी राज्य खुशहाल रह सकता है.
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