पटना: कुढ़नी विधानसभा सीट (Kurhani Vidhansabha Seat By Election) को लेकर सभी प्रत्याशी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन इस सीट से विजय का सेहरा पहनना इतना भी आसान नहीं हैं. यहां से कुल 13 प्रत्याशी अपने भाग्य को अजमा रहे हैं. इनमें दो प्रत्याशियों पर सभी की नजर टिकी हुई है. जेडीयू (JDU ) से मनोज कुशवाहा और बीजेपी (BJP) से केदार गुप्ता चुनावी मैदान में हैं. वहीं, वीआईपी(VIP) प्रत्याशी नीलाभ कुमार के आने से ये मुकाबले त्रिकोणीय हो गया है. अब आठ दिसंबर को ही पता चलेगा मतदाताओं ने किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाया है.


अति पिछड़ों पर है सबकी नजर


कुढ़नी उपचुनाव के लिए अब प्रचार- प्रसार थम गया है. सभी प्रत्याशी आंतरिक रणनीति में जुट गए हैं. सोमवार को यहां मतदान होने वाला है. इससे पहले ये मुकाबला काफी रोमांचक हो गया है. चुनावी मैदान में वीआईपी के आने से बीजेपी और महागठबंधन की टेंशन बढ़ गयी है. इससे बीजेपी और महागठबंधन की समीकरण भी बदलते नजर आ रहे हैं. कुढ़नी के सामाजिक समीकरण के जानकार बताते हैं कि यहां अति पिछड़ों का एकमुश्त वोट जिस ओर जायेगा, जीत उसी की होगी. 


सभी ने झोंकी अपनी पूरी ताकत


वोट बैंक में सेंध लगाने में सभी पार्टियां लगी हुई हैं. महागठबंधन ने अति पिछड़ी जाति के नेताओं को गांव -गांव जाकर सरकार की योजनाओं की जानकारी देने और गोलबंद करने की जिम्मेवारी सौंपी है. महागठबंधन को इस सीट से यादव-मुस्लिम समीकरण और जेडीयू के अतिपिछड़ा-सवर्ण व अल्पसंख्यक मतदाताओं की तिकड़ी पर भरोसा है. वहीं, बीजेपी ने सामाजिक समीकरण को साधने के लिए भी अपनी टीम को मैदान में उतारा है. बीजेपी को यहां से कुशवाहा, सवर्ण और मल्लाह वोटरों से भी उम्मीद है तो वीआइपी ने भूमिहार जाति से आने वाले नीलाभ को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसलिए बीजेपी मल्लाह वोटरों में सेंध मारने की भी कोशिश में लगी हुई है.


वीआइपी प्रत्याशी नीलाभ के आने से बढ़ा रोमांचक


वहीं, कुढ़नी में सवर्ण जातियों में सबसे अधिक वोट भूमिहार मतदाताओं के हैं. यहां से दूसरे नंबर राजपूत और तीसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं. इस बार इन वोटरों में वीआइपी ने सेंध मारने का काम किया है. इस सीट से वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी ने नीलाभ कुमार को प्रत्याशी बनाया है, जो भूमिहार जाति से आते हैं. वहीं, नीलाभ कुमार चार बार विधायक रह चुके साधु शरण शाही के पोते हैं. शाही चार बार के विधायक रहे थे और कुढ़नी से वर्ष 1990 में भूमिहार जाति से जीतने वाले आखिरी विधायक रहे. जानकारों का मानें तो भूमिहार जाति बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. वहीं,  इस बार नीलाभ के आने से इसमें सेंध लगना तय है. इसके अलावे सहनी और कुशवाहा जाति के मतदाताओं की संख्या भी यहां से बहुतायात में है. ऐसे में नीलाभ महागठबंधन के वोट बैंक में भी बड़ा सेंध लगा सकते हैं. 


बीजेपी और महागठबंधन के लिए है ये मुश्किलें


बता दें कि बीजेपी ने कुढ़नी से केदार गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है. केदार गुप्ता वैश्य समाज से आते हैं. वैश्य समाज के वोट के लिए भी बीजेपी को काफी मेहनत करना पड़ रहा है. इसके पीछे ये वजह है कि जदयू ने पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को टिकट दिया है. साथ ही जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन है. इसलिए वैश्य समाज का वोट किस को जाएगा. इस पर अभी भी तक संशय बना  हुआ है. वहीं, बीजेपी से भूमिहार वर्ग भी थोड़ा नाराज चल रहे हैं. इसलिए बीजेपी की इससे मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. वहीं, ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार को अल्पसंख्यक मतदाताओं का भरोसा है. लेकिन इससे महगठबंधन की राहें मुश्किलें हो रहा है.


आठ दिसंबर को मतदाताओं का आएगा फैसला


वहीं, इस सीट पर पांच दिसंबर को मतदान होने वाला है. सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हो जाएगा. अब मतदाता ही प्रत्याशियों का भाग्य तय करेंगे, जिसका परिणाम आठ दिसंबर को आएगा. इस दिन ही पता चलेगा कि मतदाताओं ने किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाया है.