पटना: कुढ़नी विधानसभा पर हो रहे उपचुनाव का फैसला आठ दिसंबर को हो जाएगा कि कौन यहां का किंग कौन होगा. इससे पहले अंतिम समय तक पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी. 320 बूथों पर मतदान हो रहा है. मुख्य लड़ाई महागठबंधन और बीजेपी के बीच है लेकिन वीआईपी और एआईएमआईएम को लेकर भी नजरें टिकी हैं कि इनके प्रत्याशियों से किसको नफा या नुकसान होगा.
महागठबंधन से जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा मैदान में हैं तो बीजेपी से केदार गुप्ता खड़े हैं. इस चुनाव में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं जो किसी का खेल बनाने और बिगाड़ने में कामयाब हो सकते हैं. इस चुनाव में किसका पलड़ा भारी हो सकता है इस पर नजर डालें तो जातीय समीकरण के अनुसार कुढ़नी विधानसभा में भूमिहार, मल्लाह और मुस्लिम के वोट निर्णायक हैं. तीनों का वोट लगभग 40000 और 50000 के बीच में है. वहीं यादव का भी वोट लगभग 30,000 के आसपास है.
इसके अलावा राजपूत, वैश्य, कुशवाहा जातियों का वोट 10 और 15 हजार के बीच है. कुढ़नी विधानसभा में अगर साहनी, भूमिहार और मुस्लिम का वोट एकजुट होकर एक ओर जाता है तो उसकी जीत पक्की मानी जाएगी, लेकिन यह संभव नहीं है. जिस तरह एक महीना पहले गोपालगंज में हुए उपचुनाव में मुस्लिम का वोट एकजुट होकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में गया और लगभग 12000 वोट ओवैसी की पार्टी ने लाए. अगर वही स्थिति कुढ़नी में रही तो बीजेपी की जीत तय मानी जा सकती है. क्योंकि बीजेपी भूमिहार को अपना कोर वोट मानती है.
भूमिहार समाज से आने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता सुरेश शर्मा ने बीजेपी की जीत के लिए एड़ी चोटी एक कर दी थी. विगत कई चुनाव में देखा गया है, खासकर गोपालगंज में देखा जाए तो भूमिहार वोट में बिखराव हुआ है. अगर यहां भूमिहार का वोट में बिखराव नहीं होता है तो बीजेपी का पलड़ा भारी हो सकता है. इस चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी से नीलाभ कुमार को टिकट दिया है. नीलाभ कुमार भूमिहार समाज से आते हैं और राजनीति में सक्रिय रहे हैं. कुढ़नी की जनता के लिए कई आंदोलन भी करते रहे हैं.
साहनी समाज में नाराजगी की बात
नीलाभ कुमार के दादा साधु शरण शाही 1990 के पहले के कुढ़नी में विधायक रह चुके हैं. ऐसा माना जाता है कि भूमिहार समाज में नीलाभ कुमार की पकड़ अच्छी है. मुकेश साहनी की सोच है कि अगर साहनी समाज और भूमिहार समाज की वोट एकजुट हो जाती है तो दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा हो सकता है. वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि मुकेश सहनी ने अपने साहनी समाज को टिकट नहीं दिया है जिससे साहनी समाज वीआईपी पार्टी से नाराज चल रहे हैं.