Lalan Singh: ललन सिंह की 'विदाई' की चर्चा कहां से उठी? विधायक से लेकर L-T और A-U वाला फैक्टर कर रहा काम!
Bihar Politics: अंदरखाने से यह चर्चा है कि ललन सिंह ने खुद प्रस्ताव रखा है कि उन्हें मुंगेर लोकसभा से चुनाव लड़ना है. उनके पास कई जिम्मेदारियां हैं जिसे वो चाहते हैं कि कम हो जाए.
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में इन दिनों हलचल तेज हो गई है. जेडीयू की ओर से पहले 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की घोषणा की गई थी, लेकिन 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) की बैठक के बाद यह बात भी सामने आई कि उसी दिन राष्ट्रीय परिषद की भी बैठक होगी. अब इस बैठक की घोषणा के बाद से चर्चा तेज हो गई कि क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) की विदाई हो जाएगी?
राष्ट्रीय परिषद की बैठक में सभी प्रकोष्ठ के मेंबर मौजूद होते हैं. इसमें अहम निर्णय लिए जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक फैसला लेने के लिए भी जाने जाते हैं. इस बैठक की घोषणा के बाद सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के सभी दलों के नेता यह चर्चा करने लगे हैं कि नीतीश कुमार उस दिन बड़ा निर्णय लेंगे. हो सकता है राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से ललन सिंह को हटाकर किसी और को कमान सौंप दें. हो सकता है खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ले लें.
सियासी गलियारों में चर्चा पर क्या कहते हैं जानकार?
इन सबके पीछे जेडीयू के विधायकों से लेकर लालू-तेजस्वी (L-T) और अशोक चौधरी समेत उपेंद्र कुशवाहा (A-U) वाले फैक्टर हो सकते हैं. जेडीयू के विधायक कई बार ललन सिंह पर आरोप लगा चुके हैं कि वह मिलते तक नहीं हैं. सियासी गलियारों में उठी चर्चा पर राजनीति जानकार अरुण कुमार पांडेय कहते हैं कि ललन सिंह की जगह किसी और को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया जा सकता है. हाल के दिनों में देखा जाए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के प्रति पूरी तरह से सजग हुए हैं. अचानक जेडीयू कार्यालय पहुंच जाना, लगातार अपनी पार्टी के सभी सांसद, मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और सभी प्रकोष्ठ के नेताओं से बारी-बारी बैठक कर रहे हैं. यह बात भी सत्य है कि इस पार्टी में जो भी अहम निर्णय लेंगे वह नीतीश कुमार ही ले सकते हैं. उन्हीं के आदेश पर पार्टी का हर काम होगा. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष पद के लिए समय सभी पार्टियों का अलग-अलग होता है.
अब समझिए फैक्टर की बात
अरुण पांडेय ने बताया कि हाल के दिनों में जिस तरह से चर्चा रही है कि ललन सिंह की तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव से नजदीकींया बढ़ी हैं तो वहीं ललन सिंह का पार्टी के कुछ नेताओं से विवाद भी रहा है. मुख्यमंत्री आवास में अशोक चौधरी और ललन सिंह का विरोधाभास सबके सामने आया था. इसके बाद से नीतीश कुमार जो हैं वो अशोक चौधरी के पक्ष में ज्यादा दिखे. कई बार मंच से उन्होंने अशोक चौधरी का सपोर्ट किया है.
अंदरखाने से यह भी चर्चा है कि ललन सिंह ने खुद प्रस्ताव रखा है कि उन्हें मुंगेर लोकसभा से चुनाव लड़ना है. ऐसे में इतनी बड़ी जिम्मेदारी अभी वह नहीं संभाल सकते हैं क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा के हटने के बाद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद का भी जिम्मा उन्हीं के पास है. ऐसे में इस बैठक में यह भी निर्णय लिया जा सकता है कि कौन संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे.
अशोक चौधरी और ललन सिंह में तकरार
दरअसल कुछ महीने पहले सीएम आवास पर जेडीयू नेताओं की बैठक हुई थी. जेडीयू की बैठक खत्म होने के बाद पार्टी के नेता निकलने लगे थे. इस दौरान ललन सिंह ने अशोक चौधरी को टोका था. अशोक चौधरी को कहने लगे कि वह जमुई और बरबीघा की राजनीति में बार-बार दखलंदाजी नहीं करें. अशोक चौधरी ने जवाब में ललन सिंह को कहा कि वह कौन होते हैं कहीं जाने से रोकने वाले?
ललन सिंह की आरजेडी से नजदीकी की बात कह चुके हैं कुशवाहा
ललन सिंह के लालू-तेजस्वी के करीब होने के कारण नीतीश नाराज चल रहे हैं ये चर्चा है. हालांकि ललन सिंह के आरजेडी से करीब होने की बात कई महीने पहले ही उपेंद्र कुशवाहा कह चुके हैं. जेडीयू से इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि आरजेडी को क्या सूट करता है उस तरह से ललन सिंह बोल रहे हैं. नीतीश कुमार को सूट करे या ना करे, नीतीश कुमार अंदर से दुखी भी हों तो होते रहें. आरजेडी के आका कैसे खुश रहें इस तरह का व्यवहार ललन सिंह अभी कर रहे हैं.
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