Lalu Prasad Yadav: 'मेरे पापा का हंसता-मुस्कुराता चेहरा, वो युग-प्रवर्तक...', रोहिणी ने शेयर किया इमोशनल पोस्ट
Bihar News: रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट लिखा है. उन्होंने लालू यादव को किडनी डोनेट करने के दिन को याद किया है. 5 दिसंबर को ही रोहिणी ने अपने पिता को किडनी डोनेट की थी.
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) ने एक बहुत ही भावुक कर देने वाला पोस्ट सोशल मीडिया साइट एक्स पर शेयर किया है. उन्होंने लालू यादव को किडनी डोनेट करने के उस दिन को याद किया है जब वे अस्पताल में भर्ती थीं और लालू (Lalu Yadav In Hospital) को उनकी जरूरत थी. रोहिणी ने लिखा है कि उन्हें उसी स्वस्थ रूप में देखने की कामना थी, जिस रूप में उन्हें बचपन से देखती आई थी. मेरे पापा का हंसता-खिलखिलाता मुस्कुराता चेहरा. वो युग-प्रवर्तक.
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि, 5 दिसंबर 2022 का दिन मेरे लिए मुश्किलों से ज्यादा खुशियों का दिन था. आज फिर 5 दिसंबर (2023) है. एक साल ऐसे बीता जैसे कल ही की बात हो. हमेशा की तरह बीते पूरे साल भी परमपिता परमेश्वर से मेरी बस यही विनती रही कि जब तक मेरे इस नश्वर शरीर में प्राण रहे, मेरे पापा का मेरे सिर पर हाथ, उनका स्नेहिल आशीष रहे. आज के ही दिन 2022 को दिल में मेरे समुद्री लहरों के जैसे जज्बात थे. मगर इरादे चट्टानों के जैसे मजबूत.
'जीवन जीने का हक और अधिकार दिलाया'
उन्होंने कहा कि, आखिर हो भी क्यों न मेरे पापा की जिंदगी से जुड़े सवाल जो तमाम थे. उन्हें उसी स्वस्थ रूप में देखने की कामना थी, जिस रूप में उन्हें बचपन से देखती आई थी. मेरे पापा का हंसता-खिलखिलाता मुस्कुराता चेहरा. वो युग-प्रवर्तक, जिन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों को स्वाभिमान से जीवन जीने का हक और अधिकार दिलाया. सदियों से चली आ रही सामंती-गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया, जाति-धर्म, छुआ-छूत, ऊच-नीच का भेद-विद्वेष मिटाया. गाय चराने वालों, भैंस चराने वालों, बकरी चराने वालों, सूअर चराने वालों को 'पढ़ना-लिखना सीखो' जैसे नारों से प्रेरित कर जन-जन में शिक्षा के अलख को जगाया.
'एक किडनी तो क्या अपनी सौ जिंदगियां न्यौछावर'
रोहिणी ने लिखा कि, मेरे पापा ने दबी आवाज को मंच विशाल दिलाया. पापा आप के साथ तो सारे जहान की नेमतें तमाम और मेरी पूजा, मेरी प्रार्थना में सिर्फ और सिर्फ आपका ही नाम. ऐसे महापुरुष के लिए एक किडनी तो क्या अपनी सौ जिंदगियां न्यौछावर करने से पीछे नहीं हटती मैं. अहोभाग्य मेरा. मैं उस देवतुल्य इंसान की जैविक संतान, जो हाशिए की जिंदगी जी रहे करोड़ों के भगवान व समावेशी सोच रखने वाले हरेक विवेकशील इंसान के लिए न कभी डिगने वाले हिमालय के समान हैं.
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