Bihar Politics: देश भर में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है. बिहार में भी अलग-अलग पार्टियां एक तरफ तैयारी में हैं तो वहीं दूसरी ओर सियासी खेल भी खेले जा रहे हैं. बिहार के दो नेताओं की चर्चा एक बार फिर होने लगी है. एक तरफ पप्पू यादव तो दूसरी ओर कन्हैया कुमार हैं. हालांकि ये दोनों चर्चित नेता लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के सामने फीके पड़ गए. एक को पूर्णिया सीट नहीं मिली तो दूसरे को बिहार से बाहर भेज दिया गया. ऐसे में सवाल हैं कि इसकी क्या वजह है? राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही नहीं चाहते कि उनके बेटे तेजस्वी यादव के आगे कोई टिके या दूसरा कोई विकल्प लोगों को मिले. अब समझिए पूरी खबर.


1990 के दौर में कभी लालू प्रसाद यादव का दाहिना हाथ और परिवार की तरह रहने वाले पप्पू यादव ने इस बार के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से निर्दलीय नामांकन किया है. नामांकन से पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था. इससे पहले उन्होंने लालू के आवास पर जाकर मुलाकात की थी. हालांकि अंत तक लालू ने कांग्रेस के पप्पू यादव को आगे बढ़ाने के मौका नहीं दिया. पूर्णिया सीट जो कि हमेशा कांग्रेस के खाते में रही उसे अपने पास रख लिया. यही वजह है कि पप्पू यादव को निर्दलीय नामांकन करना पड़ा.


यही स्थिति कुछ कन्हैया कुमार के साथ भी रही. कन्हैया कुमार 2019 में बिहार में उभरता हुआ नेता बनकर आए थे. बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन आरजेडी शायद आगे नहीं बढ़ना देना नहीं चाहती थी. कन्हैया कुमार को रोकने के लिए तनवीर हसन को आरजेडी ने टिकट दिया. तनवीर हसन तीसरे नंबर पर रहे और कन्हैया कुमार दूसरे नंबर पर रहे. हालांकि कन्हैया कुमार बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.


बेगूसराय सीट भी कांग्रेस को नहीं मिली


बता दें कि कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट अपने खाते में चाहती थी लेकिन आरजेडी ने सीपीआई को दे दिया. ऐसे में कन्हैया कुमार को कांग्रेस बेगूसराय से नहीं उतार सकी तो उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली से मौका दिया है. इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी मनोज तिवारी हैं.


क्या कहते हैं पप्पू यादव?


पप्पू यादव ने मीडिया से बातचीत में सीधे लहजे में कह दिया है कि आखिर इतनी नफरत तेजस्वी यादव हमसे क्यों करते हैं? पप्पू यादव ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बयान दिया है कि अभी की राजनीति 1990-95 या 2004-5 की नहीं है. अभी का चुनाव बिल्कुल अलग है. मेरे खिलाफ तो वह (तेजस्वी यादव) नॉमिनेशन दिलवाने के लिए हेलिकॉप्टर से आ गए. जब कांग्रेस में हम चले गए तो सबसे ज्यादा तकलीफ लालू यादव को हुई. ऐसा नहीं करना चाहिए था. हम उनकी ताकत हैं. इधर कहते थे कि आप विलय कर लीजिए, उधर कांग्रेस को गाली देते थे. उधर कांग्रेस को कहते थे कि लालू या पप्पू चयन कर लीजिए.


जेडीयू ने लालू यादव पर लगाए गंभीर आरोप


जेडीयू प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा है कि लालू की स्पष्ट समझ है कि उनके बेटे तेजस्वी के सामने राजनीति में कोई दूसरा व्यक्ति टिक नहीं पाए. बिना लालू की अनुमति के कांग्रेस राजनीतिक रूप से न मुस्कुरा सकती है न कराह सकती है. राजनीति में लालू को अपने पुत्र के लिए प्रेम है.


नीरज कुमार ने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने से पहले पप्पू यादव लालू से मिले और टिकट से बेदखल कर दिए गए. 2019 में सीपीआई से बेगूसराय से कन्हैया लोकसभा लड़े थे. आरजेडी ने कन्हैया के खिलाफ प्रत्याशी दिया था क्योंकि लालू किसी को भी अपने बेटे के सामने टिकने नहीं देना चाहते. अब कांग्रेस आलाकमान ने फैसला लिया कि कन्हैया को दिल्ली से चुनाव लड़ाया जाएगा.


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