(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar Politics: बिहार कैबिनेट में मंत्रियों के फेरबदल पर समझिए सियासत, पर्दे के पीछे जानिए लालू-नीतीश का शीत युद्ध!
Nitish Cabinet: नीतीश कैबिनेट में शनिवार को बड़ा फेरबदल किया गया है. इस फेरबदल में सभी आरजेडी कोटे के मंत्री थे. वहीं, इसको लेकर अब सियासत भी तेज हो गई है.
पटना: आरजेडी (RJD) के तीन कद्दावर मंत्रियों के विभाग बदले गए हैं. तीनों मंत्री लालू-तेजस्वी (Lalu-Tejashwi) के बेहद करीबी हैं. आलोक मेहता (Alok Mehta) को शिक्षा मंत्री बनाया गया है. पहले भूमि सुधार व राजस्व मंत्री थे. शिक्षा मंत्री रहे चंद्रशेखर (Chandrashekhar) को गन्ना उद्योग विभाग का मंत्री बनाया गया. गन्ना उद्योग विभाग आलोक मेहता के पास था. ललित यादव भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री बने हैं. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग भी पहले की तरह उनके ही पास रहेगा. भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग आलोक मेहता के पास था. दरअसल, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से नीतीश (Nitish Kumar) नाराज रहते थे. इस फेर बदल के पीछे की कहानी को समझिए.
चंद्रशेखर रामचरित मानस पर दे चुके हैं विवादित बयान
डॉ. चंद्रशेखर रामचरित मानस पर अनाप शनाप बयानबाजी करते थे. इसको नफरत फैलाने एवं समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताते थे. देवी देवताओं पर भी टिप्पणी करते थे. राम मंदिर पर भी लगातार बयानबाजी कर रहे थे. बयानों को लेकर सुर्खियों में थे. चंद्रशेखर को कंट्रोल में रखने के लिए नीतीश ने अपने करीबी आईएएस अधिकारी केके पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया था. केके पाठक शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक के बाद एक नए फैसले लेने लगे. शिक्षा मंत्री से सलाह भी नहीं लेते थे. अपनी अनदेखी से शिक्षा मंत्री नाराज हो गए थे और कई दिनों तक अपने दफ्तर नहीं आए थे.
आरजेडी व वाम दलों की ओर से पाठक को हटाने की मांग की जा रही थी. राज्यपाल से भी विधान पार्षदों ने मुलाकात की थी. इसी बीच पाठक छुट्टी पर चले गए, लेकिन पाठक लौट आए हैं व चंद्रशेखर का ही विभाग बदल दिया गया है. चंद्रशेखर पर पाठक भारी पड़ गए.
विवादों में है आलोक मेहता द्वारा किया गया ट्रांसफर पोस्टिंग
भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रहे आलोक मेहता ने अपने विभाग के कई अधिकारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग किया था, जिस पर नीतीश ने रोक लगा दी थी. ट्रांसफर पोस्टिंग में गड़बड़ियों की शिकायत मिल रही थी. नीतीश के भागने, नाराज होने की खबरों के बीच लालू ने अब जाकर कार्रवाई की सहमति दी. ये भी बताता है कि कुछ होने को रोकने की कोशिश के तहत लालू की तरफ से अब यह किया गया होगा या फिर आईएएस पाठक को मनाने के लिए नीतीश की तरफ से इधर लालू को कहा गया होगा. माहौल भाप कर लालू तुरंत तैयार हो गए होंगे.
सीएम नीतीश की नाराजगी की चल रही है चर्चा
दरअसल, नीतीश के नाराज होने की बात भी सामने आ रही है क्योंकि 'इंडिया' गठबंधन में अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. नीतीश चाहते थे कि जल्द से जल्द हो जाए. नीतीश ने संयोजक बनने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था. जेडीयू के नेता चाहते हैं कि नीतीश को 'इंडिया' गठबंधन का पीएम कैंडिडेट बनाया जाए. उधर, सियासी गलियारों में चर्चा है कि लालू चाहते हैं कि नीतीश अब सीएम की कुर्सी छोड़ें और तेजस्वी को सीएम बनाएं. कहा तो यह भी जा रहा है कि इसके लिए नीतीश पर दबाव भी बनाया जा रहा था. जबकि नीतीश पहले ही बोल चुक हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेगा व तेजस्वी चेहरा होंगे.
लालू और ललन सिंह को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था
नीतीश ने ललन सिंह को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटाया था क्योंकि वह लालू के बेहद करीबी हो गए थे. अटकलों का बाजार गर्म था कि वह जेडीयू को तोड़ तेजस्वी को सीएम बना सकते हैं, लेकिन लालू यादव और ललन ने हमेशा इन चर्चाओं को खारिज किया और ललन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा था यह कहते हुए कि उनको लोकसभा चुनाव लड़ना है इसलिए उनको पद से मुक्त किया जाए. अपने क्षेत्र में समय नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि उनके पास बड़ी जिम्मेदारी है.
आरजेडी पर जेडीयू भारी
वहीं, एक साक्षत्कार के दौरान जब गृहमंत्री अमित शाह से पूछा गया कि अगर कोई पुराने साथी, जो छोड़कर गए थे नीतीश कुमार आदि, ये आना चाहेंगे तो क्या उनके लिए रास्ते खुले हैं? इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि जो और तो... से राजनीति में बात नहीं होती. किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा. अमित शाह के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया. कई तरह के कयास लगने लगे. इसी बीच 19 जनवरी को लालू-तेजस्वी ने सीएम आवास जाकर नीतीश से मुलाकात की थी. करीब 45 मिनट तक नीतीश के साथ बैठक की थी. शनिवार को बिहार में जो घटनाक्रम हुआ है ये सीधा आरजेडी का नीतीश के सामने सरेंडर लग रहा है. नीतीश बॉस हैं. उनकी ही चलेगी. यह साफ झलक गया. नीतीश किसी भी दबाव में नहीं रहेंगे भले उनके 43 विधायक हैं व आरजेडी के 79 हैं.