पटना: साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना को जाति के आधार पर कराने के मुद्दे पर विवाद जारी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) द्वारा 10 सदस्यीय टीम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से इस मुद्दे पर मुलाकात के बाद विवाद और गहरा गया था. हालांकि, अब केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ये कह दिया गया है कि वो जातीय जनगणना (Caste BAsed Census) नहीं कराएगी और ये उनका सोचा-समझा फैसला है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद सूबे का सियासी पारा चढ़ गया है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरा है.


पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों?


लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा," सांप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे गिने जाएंगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी. वाह. बीजेपी/आरएसएस वालों को पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा. सबकी असलियत सामने आएगी."


 






उन्होंने कहा कि बीजेपी/आरएसएस पिछड़ा/अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहा है. अगर केंद्र सरकार जनगणना फॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर देश की कुल आबादी के 60 फ़ीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है. इनका बहिष्कार हो.


 






जेडीयू ने भी दी प्रतिक्रिया


इधर, केंद्र सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू (JDU) के प्रवक्ता निखिल मंडल (Nikhil Mandal) ने कहा कि केंद्र सरकार को जन भावना का सम्मान करना चाहिए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार रहेगा. बिहार सरकार (Bihar Government) इसके बाद अपना रुख तय करेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के रुख से अभी बातें स्पष्ट नहीं हुई हैं और हमने अपनी बातें केंद्र के समक्ष रखी है. जब तक वहां से कोई निर्णय नहीं आता, तब तक कोई निर्णय बिहार सरकार नहीं करेगी. हमें ये उम्मीद है कि केंद्र सरकार के तहत ही ये हो जाए. अगर नहीं होता है तो उसके बाद बहुत सारे प्रावधान हैं, मुख्यमंत्री सोचेंगे कि क्या करना है.


आरजेडी ने साधा निशाना 


वहीं, आरजेडी (RJD) नेता रामबलि सिंह (Rambali Singh) ने कहा, " बीजेपी (BJP) चाहती ही नहीं कि जातीय जनगणना हो. हमलोगों को तो पहले से ही उम्मीद नहीं थी. लेकिन सीएम नीतीश कुमार की उम्मीद जगी और उन्होंने दो-दो बार सदन से प्रस्ताव पारित किया. वहीं, नेता प्रतिपक्ष के प्रभाव में मुख्यमंत्री के साथ इस मुद्दे को हाईलाइट करने के लिए एक पूरा शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला और उन्होंने भी आश्वासन दिया था. लेकिन कल महाराष्ट्र सरकार ने जो हलफनामा दिया है, उससे स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी जातीय जनगणना नहीं चाहती है. जबकि जातिगत जनगणना और आरक्षण एक दूसरे के पूरक हैं. ऐसे में इससे ये स्पष्ट होता है कि मौजूदा केंद्र की सरकार आरक्षण विरोधी है. अब फैसला नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को करना है."


बीजेपी के मंत्री ने किया बचाव


इधर, पूरे मामले में केंद्र सरकार का बचाव करते हुए नीतीश कैबिनेट (Nitish Cabinet) के मंत्री और बीजेपी नेता जनक राम (Janak Ram) ने कहा, " ये तो संकेत है. उच्च न्यायालय का जो आदेश होता है, वो सर्वमान्य होता है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि बिहार के मुख्यमंत्री को अभी थोड़ा इंतजार जरूर करना चाहिए कि प्रधानमंत्री का निर्णय क्या आता है. उनका जो निर्णय आयेगा सभी को सर्वमान्य होगा."



यह भी पढ़ें -


Gopalganj News: गोपालगंज के डीएम ने डॉक्टरों को दी चेतावनी, कहा- ईमानदारी से करें यह काम


बिहारः कोर्ट ने फिर सुनाया अनोखा फैसला, '5 बच्चों को 6 माह तक मुफ्त में देना होगा आधा-आधा लीटर दूध'