Sharad Yadav Died: देश के समाजवादी नेता में पहचान रखने वाले 75 वर्षीय शरद यादव का गुरुवार की देर शाम दिल्ली में निधन हो गया. शरद यादव तो अब नहीं रहे लेकिन देश की राजनीति में उनका इतिहास जरूर अमर रहेगा. शरद यादव सुलझे और ईमानदार छवि के नेता थे. वे देश में पहले ऐसे सांसद थे जो तीन राज्यों से सांसद रह चुके थे. मूल रूप से मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले थे लेकिन बिहार की राजनीति में भी कमाल का काम कर चुके है. चुनावी मैदान में वो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के चलवे को भी फेल कर चुके हैं.


शरद यादव अपने गृह क्षेत्र जबलपुर लोकसभा से 1974 और 1977 में दो बार जीत दर्ज कर सांसद बने थे. तीसरी बार शरद यादव ने 1989 में उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. उसी समय बीपी सिंह की सरकार में वो मंत्री भी बने थे. उसके बाद शरद यादव का संसदीय क्षेत्र बिहार का मधेपुरा रहा जहां से वे चार बार सांसद रहे. बड़ी बात यह थी कि मध्य प्रदेश के रहने वाले शरद यादव ने बिहार में एक अलग पहचान बनाई थी.


यादव बहुल क्षेत्र में हार गए थे लालू


आज भी वो किस्सा याद है जब शरद यादव ने बिहार में उस वक्त एकछत्र राज करने वाले लालू प्रसाद यादव को यादव बहुल क्षेत्र में ही हरा दिया था. मधेपुरा लोकसभा से 1999 में लालू 30320 वोट से हारे थे. दिलचस्प बात यह थी कि उस वक्त लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ही बिहार की मुख्यमंत्री थीं.


1990 से लालू प्रसाद यादव लगातार मुख्यमंत्री थे. 2007 में इस्तीफा देकर पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था. पूरे बिहार में लालू प्रसाद यादव का जलवा था लेकिन मधेपुरा में शरद यादव के सामने लालू प्रसाद यादव का जलवा फीका पड़ गया था. 1999 में लालू प्रसाद यादव को हराने के बाद शरद यादव एनडीए के शासनकाल में मंत्री भी बनाए गए थे.


मधेपुरा से कई बार हार भी चुके थे शरद यादव


हालांकि लालू प्रसाद यादव ने 1998 और 2004 में मधेपुरा लोकसभा में शरद यादव को हराया था. मधेपुरा लोकसभा में लालू प्रसाद यादव के चुनावी मैदान में आने से पहले शरद यादव ने 1991 और 1996 में भारी मतों से जीत दर्ज की थी. 1991 में जनता पार्टी के उम्मीदवार आनंद मोहन को 285377 वोट से हराया था जबकि 1996 में समता पार्टी से चुनाव मैदान में आए आनंद मंडल को 144046 वोटों से हराया था. शरद यादव को मधेपुरा लोकसभा से चार बार हार का मुंह देखना पड़ा था. वो 1998, 2004, 2014 और 2019 में चुनाव हार गए थे. 2019 में वे राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन पप्पू यादव के आने के बाद त्रिशंकु स्थिति बन गई थी जिसके कारण शरद यादव को हार का सामना करना पड़ा था.


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