पटना: कोरोना महामारी के बीच सोमवार को बिहार विधानसभा का एक दिवसीय मॉनसून सत्र सम्पन्न हुआ. इस सत्र में विधायकों ने कई मुद्दे उठाए. लेकिन सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का संबोधन चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, तेजस्वी ने इतनी बेबाकी से अपनी बातों को रखा कि सदन में मौजूद सभी दंग रह गए.
तेजस्वी ने कहा, "हमसे भाग्यशाली कौन हो सकता है? जिसके माता-पिता दोनों मुख्यमंत्री रहे हो और हमारी कोई चाह भी नहीं है. हम नेता प्रतिपक्ष भी हो लिए, डिप्टी सीएम भी हो लिए. यानि इस पांच साल में ही मुझे 20 साल का अनुभव हो गया. सीबीआई से लेकर ईडी, आईडी केस हुआ, फिर डिप्टी सीएम से नेता प्रतिपक्ष बने और कई ऐसे नेता यहां हैं, जिनसे सीखने का मौका भी मिला. इसके लिए सबको धन्यवाद भी देंगे."
तेजस्वी ने कहा, " हमारे नीति-सिद्धांत में इनलोगों से थोड़ा अलग है. हम टिकाऊ और लड़ाकू हैं और ये लोग बिकाऊ और डरपोक हैं. इनके राज में 15 साल में 57 घोटाले हुए, लेकिन इन 57 घोटाले में किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. अपराध का आंकड़े बढ़ता जा रहा है. 2005 के मुकाबले साढ़े चार गुना अपराध बढ़ गया. हम तो कह रहे हैं कि यदि सुशांत आत्महत्या मामले का सीबीआई जांच हो तो रामाश्रय का भी सीबीआई जांच हो जो गोपालगंज में रामाश्रय कुशवाहा का मर्डर हुआ था."
तेजस्वी ने कहा, " सरकार के सामने हमने आंकड़े रखे, रियल पिक्चर रखा जो धरातल की बात है. आप लोगों ने भी कोरोना और बाढ़ के संबंधित कई वीडियो देखा होगा. लेकिन सरकार के पास कोई जवाब नहीं है, वो गोल-मटोल और केवल कागजी बात कह रही है और बस अधिकारियों पर निर्भर है. मुख्यमंत्री से कहा जा रहा है कि आप बाहर निकलें, इसपर कोई जवाब नहीं आ रहा, सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई जांच की मांग करानी हो या हमने जो फिल्मसिटी की बात की थी उसपर भी कोई जवाब नहीं मिला, बाढ़ को लेकर इनकी क्या तैयारी है वो भी स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया. सरकार बस लीपा-पोती कर रही है."
उन्होंने कहा, " बिहार पूरी तरह से भगवान भरोसे है. मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को गंभीर होना चाहिए जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहा है तो उनको सदन में रहना चाहिए और जितने भी सवाल हमने पूछे हैं, चाहे वो नीति आयोग की बात हो या तीन सदस्यीय टीम के बारे में हो उसका जवाब देना चाहिए. ये तो उन्हीं के घटक दल की सरकार की रिपोर्ट है तो हम ये कहना चाहते हैं बाढ़ हो या कोरोना सरकार पूरी तरह से फेल है. इन लोगों को केवल चुनाव की चिंता है."
तेजस्वी ने कहा, " बिहार सरकार बिहार पुलिस की भद्द पिटवा रही है. ये केवल बिहार पुलिस का ही नहीं पूरे बिहारियों का भद्द पिटवा रही है. इससे ज्यादा और दुर्भाग्य की बात नहीं हो सकती. केंद्र और गृह मंत्रालय के पास सारी पवार है उनको हस्तक्षेप करना चाहिए और हमने पहले भी कहा है सरकार जिस तरह से भद्द पिटवा रही है तो वहां भी इन्ही की सरकार है. डबल इंजन की सरकार केंद्रीय गृह मंत्री से मांग तो करें, गृह राज्य मंत्री तो बिहार के ही हैं, वो क्या कर रहे हैं बिहार के लिए? इसमे राजनीति नहीं होनी चाहिए. हमलोग परिवार के साथ हैं और हम बस इतना चाहते हैं कि उनके परिवार को न्याय मिले."
तेजस्वी ने कहा, " बाढ़ को लेकर अगर हम चर्चा करें तो लगभग 14 से 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं,113 प्रखंड और 1060 पंचायत और लगभग 54 लाख आबादी बाढ़ पीड़ित हैं. घर-बार डूब गया, सभी लोग रोड पर रह रहे हैं. हम जाकर पीड़ितों से मिल सकते हैं. मैं मधुबनी, दरभंगा, चंपारण गया, तिरहुत, गोपालगंज की स्थिति आप देख लीजिए भयावह स्थिति बनी हुई है. लेकिन अभी तक कहने के बाद केवल एक हेलीकॉप्टर गया है. अगर मुख्यमंत्री को कोरोना का डर है तो हेलीकॉप्टर तो है न उनके पास केवल पायलट को लेकर ही चल जाते."
तेजस्वी ने कहा कि बांध टूट रहे हैं, पुल-पुलिया टूट रहे हैं, अप्रोच रोड टूट रहा है, किसी के खाने का प्रबंध नहीं है. 54 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. इसके बावजूद 19 राहत शिविर और 1385 कम्युनिटी किचन ही चल रहे हैं यानी जब आपके पास 30 हजार लोगों की ही व्यवस्था है तो आप 54 लाख लोगों की व्यवस्था करेंगे कैसे, इनको ज्यादा से ज्यादा राहत शिविर चलाने की जरूरत है. टूटे तटबंध की मरम्मत करनी चाहिए और हमने तो बाढ़ पीड़ितों के खाते में 20 हजार रुपए डालने की मांग भी की थी. इनको प्रति व्यक्ति 20 हजार रुपये डालना चाहिए. कुछ खर्च आप कर नहीं रहे हैं तो पैसा जा कहां रहा है, किसी को समझ नहीं आ रहा है.