कटिहार: जिले के बरारी प्रखण्ड स्थित सिखों में 9वें गुरु तेग बहादुर का ऐतिहासिक गुरुद्वारा लक्ष्मीपुर गांव समेत पूरे देश-विदेश में चर्चित है. गुरु तेग बहादुर का ऐतिहासिक गुरुद्वारा सिख सर्किट से जुड़ा हुआ है और इस इलाके में हजारों सिख परिवार रहते हैं. बताया जाता है कि असम से पटना वापसी के दौरान सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर का बरारी कान्त नगर पर ठहराव हुआ था और उन्होंने कई महीनों तक यहां के लोगों को धर्म संबंधी उपदेश दिए थे.


ऐसे में यहां पर सिखों की तादाद लगातार बढ़ने लगी और यही वजह है कि इस इलाके में 6 से भी अधिक कई गुरुओं के नाम पर गुरुद्वारा बनाया गया है. उसमें सबसे महत्वपूर्ण है सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी का ऐतिहासिक गुरुद्वारा. बरारी का यह इलाका बिहार पर्यटन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है. यही वजह है कि प्रत्येक साल लाहौर, पंजाब और अमृतसर से लाखों सिख परिवार के साथ कई अन्य धर्मों के लोग भी यहां पर रखे गए हुकुमनामा का दर्शन करने पहुंचते हैं.


लेकिन इस साल कोरोना महामारी के चलते देश में लगे लॉकडाउन के कारण यहां पर तीर्थयात्रियों का आवागमन पूरी तरह से बंद है. वहीं, सरकार के अनलॉक के फैसले के बाद यहां के स्थानीय लोग गुरुद्वारा में मत्था टेकने पहुंच रहे हैं.


गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा के हायर ग्रांथी जगदयाल सिंह सोडी बताते हैं कि असम से पंजाब लौटने के दौरान गुरु तेग बहादुर महाराज का यहां ठहराव हुआ था और वो लोगों को अपना उपदेश देते थे. धीरे-धीरे यह इलाका सिक्ख सर्किट से जुड़ता गया और आज यहां हजारों सिख परिवार रहने लगे. इलाके में आधा दर्जन से भी अधिक सभी गुरुओं के नाम पर गुरुद्वारा का निर्माण कराया गया है. ऐतिहासिक गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा में हुकुमनामा रखा हुआ है, जिसका दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं.