Lok Sabha Election 2024: बिहार में लोकसभा चुनाव में NDA के सामने क्या हैं चुनौतियां? इन सीटों पर कड़े मुकाबले की उम्मीद
Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीएम को 39 सीटें मिली थीं. इसमें बीजेपी, जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी साथ थी. कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत प्राप्त हुई थी.
Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार में पांच साल पहले विपक्ष को करारी शिकस्त देने वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) इस लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीट पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहा है. हालांकि, इनमें से लगभग एक-चौथाई सीट ऐसी हैं, जो एनडीए के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में 'मोदी की सुनामी' में बीजेपी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) और दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को एक साथ 39 सीट पर जीत मिली थी.
साल 2019 के चुनाव में बिहार में एनडीए का मत प्रतिशत 53 से अधिक था, जो विपक्षी 'महागठबंधन' को मिले मतों से लगभग 20 फीसदी ज्यादा था लेकिन एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बीच कुछ सीट ऐसी थीं, जहां बीजेपी को इस बार परेशानी हो सकती है.
NDA के सामने क्या हैं चुनौतियां?
पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की कम से कम छह सीट पर जीत का अंतर एक लाख मतों से कम था और इनमें से चार सीट गंगा के दक्षिणी क्षेत्र में हैं. इनमें से एक लोकसभा सीट जहानाबाद है, जहां जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे, लेकिन जीत का अंतर मात्र 1,751 मतों का था. जहानाबाद सीट पर उपविजेता रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने पूर्व में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इस बार आरजेडी ने एक समय अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के साथ गठबंधन किया है.
जहानाबाद और आसपास के क्षेत्रों का हाल
आरजेडी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दोनों दलों ने विधानसभा चुनावों में जहानाबाद और आसपास के क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. यह क्षेत्र कुछ दशक पहले तक धुर-वामपंथी कार्यकर्ताओं और जमींदारों की निजी सेना के बीच खूनी संघर्ष के लिए सुर्खियों में रहता था. विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी-भाकपा (माले) गठबंधन ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी सीट पर जीत हासिल की थी. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए और 'महागठबंधन' दोनों ही माथापच्ची में जुटे हैं और यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार किस पार्टी को यह सीट दी जाए और किसे उम्मीदवार बनाया जाए.
बिहार में किन सीटों पर कड़ा मुकाबला?
इस बार पटना साहिब से सटे पाटलिपुत्र में भी कड़ा मुकाबला देखे जाने की उम्मीद है, हालांकि ज्यादातर शहरी आबादी बीजेपी समर्थक मानी जाती है. विधानसभा चुनावों में औरंगाबाद और काराकाट लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सीट पर भी 'महागठबंधन' ने एकतरफा जीत हासिल की थी. एनडीए 2009 से इन दोनों लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करती आ रही है. लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण बिहार की दो अन्य सीट, जिन पर बीजेपी ने आसान जीत दर्ज की थी उनमें आरा और सासाराम क्षेत्र शामिल हैं लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल रहा था.
आरा से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह हैं. सासाराम (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र को कभी पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम का गढ़ माना जाता था. एनडीए को गंगा के उत्तरी क्षेत्र में किशनगंज लोकसभा सीट पर अतिरिक्त प्रयासों की जरूरत हो सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को इसी सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. एनडीए को कटिहार, छपरा, सीवान और महाराजगंज लोकसभा सीट पर भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां विधानसभा चुनावों में गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था.
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