पटना: हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम... सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) इन दिनों कुछ इसी कश्मकश से गुजर रहे हैं. नीतीश ने विपक्षी एकता की मुहिम की शुरुआत की, कई दलों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया, कई बैठकों के बाद इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A Alliance) तक बन गया, लेकिन अभी तक उनके पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है. नीतीश कुमार ने खुलकर भले ही कई बार यह कह दिया हो कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए, उन्हें कोई मलाल नहीं है, लेकिन अब जब नारा लगता है 'देश का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो' तो वो सुनकर चुप रहते हैं. ऐसे में सवाल है कि कहीं नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में 'छुपा रुस्तम' बनकर तो नहीं बैठे हैं?
इतना ही नहीं बल्कि हाल में हुए कई ऐसे काम हैं जिसके जरिए आपको ये संकेत मिल जाएंगे कि नीतीश कुमार उन कामों को अपनी उपलब्धि के रूप में गिना सकते हैं. उनके पास किए गए कामों की ऐसी लंबी लिस्ट है कि 2024 के चुनाव से पहले वह फिर से कुछ बड़ा करने की तैयारी कर सकते हैं. हालांकि क्या समीकरण होगा, किसके पास कितनी सीटें जाएंगी यह सियासी पंडित भी नहीं समझ पा रहे हैं. वैसे भी राजनीति में कहा जाता है कि यहां कुछ भी संभव है. गुरुवार (23 नवंबर) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजगीर पहुंचे थे. यहां समर्थकों ने नारा लगा दिया कि 'देश का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो' तो वो सुनकर चुप रहे. इसके पहले कई बार ऐसा हुआ है तो वह मना करते आए हैं कि इस तरह का नारा न लगाया जाए.
अपने कामों से इंडिया गठबंधन में बनाएंगे दबाव?
नीचे कुछ प्वाइंट्स के जरिए समझिए कि कैसे अपने कामों के जरिए सीएम नीतीश कुमार लोगों के बीच तो प्रचार प्रसार तो करेंगे ही, कैसे इंडिया गठबंधन में भी अपने कामों से दबदबा बना सकते हैं. क्योंकि राजनीतिक जानकार भी मान रहे हैं कि नीतीश कुमार ने जो काम किए हैं चुनाव में उससे उन्हें फायदा मिलेगा. ऐसे में माना जा रहा कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में कामों की उपलब्धि से भी दबाव बना सकते हैं.
नीतीश कुमार जातीय गणना कराने का श्रेय लेंगे
दो अक्टूबर 2023 को बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की गई. इसके बाद यह आंकड़ा सामने आ गया कि किस जाति के कितने लोग हैं. आर्थिक सर्वेक्षण से भी पता चला कि किसके पास क्या है. केंद्र ने बिहार में जातीय गणना कराने से मना कर दिया था जिसके बाद नीतीश सरकार ने खुद इस कराया. जाहिर तौर पर अब इसका श्रेय नीतीश कुमार लेंगे और चुनाव से पहले भुनाने की कोशिश करेंगे.
बिहार में 75 फीसद आरक्षण लागू
बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण लागू हो गया है. इसको लेकर गजट प्रकाशित हो चुका है. इसे केंद्र को नौवीं सूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव भी भेज दिया है. बिहार में एससी को 20 फीसद, एसटी को दो फीसद, अति पिछड़ा को 25 और पिछड़े वर्ग को 18 फीसद आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके साथ ही सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाला 10 फीसद आरक्षण का प्रावधान लागू रहेगा. इसका भी क्रेडिट नीतीश कुमार ही ले रहे हैं.
बिहार में यात्रा पर निकलने जा रहे नीतीश
अपने कार्यक्रम या मीडिया से बातचीत में कई बार नीतीश कुमार ने यह कहा है कि वे लोग जो काम करते हैं उसे नहीं छापा जाता है. मीडिया पर एक पक्ष का कब्जा है. वह अब केंद्र के खिलाफ अभियान चलाएंगे. नीतीश कुमार ने एलान किया है कि वह फिर से बिहार में यात्रा पर निकलेंगे. अधिकारी लोगों के घर जाएंगे और पूछेंगे कि उन्हें योजना का लाभ मिल रहा है कि नहीं. इसी तरह प्रचार होगा.
नीतीश को जाता है विपक्षी एकता का श्रेय
2024 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा जो काम किया है वो है विपक्षी एकता के लिए कई दलों को उन्होंने एकजुट किया. पटना बैठक पटना में हुई जिसके बाद कई और बैठक होने के बाद बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए इंडिया गठबंधन बना. विपक्षी एकता का सीधे तौर पर श्रेय नीतीश को ही जाता है.
दलित वोट बैंक को जुटाने की भी तैयारी
जेडीयू की ओर से 26 नवंबर को पटना में भीम संसद कराया जा रहा है. इसमें दलित और महादलित समाज के लोग जुटेंगे. वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में यह कार्यक्रम होगा. नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करेंगे. दलितों को एकजुट करने की तैयारी हो रही है इसकी मुख्य वजह है कि नीतीश कुमार के पास दलित का ठोस नेतृत्व नहीं है. अगर इसमें कामयाब हुए नीतीश तो 2024 के साथ 2025 के चुनाव में सीधा फायदा मिलेगा.
राजनीतिक जानकार मान रहे नीतीश को मिलेगा फायदा
राजनीति विशेषज्ञ अरुण कुमार पांडेय ने कहा कि निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो जो कर रहे हैं उसका लाभ सीधे तौर पर उन्हें मिलेगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में जो उनकी तैयारी है उसका फायदा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि 75% आरक्षण का श्रेय सीधे नीतीश कुमार को ही जाएगा और 15वीं यात्रा पर जब निकलेंगे तो इस बात का प्रचार भी करेंगे. आरक्षण का मामला अगर कोर्ट में भी जाता है तो भी चुनाव में इसका लाभ उन्हें मिल सकता है.
अरुण पांडेय कहते हैं कि जेडीयू के पास अभी 16 लोकसभा सीट हैं, लेकिन चुनौती ये है इस बार कि जो सीट मिलती है वह डैमेज न हो और इसको लेकर उनकी तैयारी है, और जो भी काम हो रहे हैं चाहे जातीय गणना की बात हो या आरक्षण देने की बात हो, इन सबका फायदा सीधे-सीधे नीतीश कुमार को मिलेगा.
राजनीतिक जानकार ने कहा कि नीतीश कुमार ने 2020 में जो जन आधार खोया था उसे लाने की कोशिश कर रहे हैं. यही कारण है कि अशोक चौधरी को आगे करके भीम संसद कार्यक्रम कर रहे हैं. इसमें दलितों को एकजुट करने की तैयारी हो रही है. इसकी मुख्य वजह है कि नीतीश कुमार के पास दलित का ठोस नेतृत्व नहीं है. जीतन राम मांझी उनसे अलग हो गए, चिराग पासवान दलित के नेता हैं जो उनके खिलाफ खिलाफ रहते हैं. ऐसे में दलित को एकजुट करने के लिए भीम संसद में थोड़ी सी भी कामयाबी मिलेगी तो 2024 के लोकसभा में नीतीश कुमार को बहुत बड़ा बल मिलेगा.
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