पटना: 2024 के अप्रैल से मई महीने में लोकसभा का चुनाव (Lok Sabha Election 2024) होना है, लेकिन बिहार में राजनीति अभी से ही पूरी चरम पर है. सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 23 जून को देश के सभी विपक्षी पार्टियों को एक जुट किए और पटना में विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक (Opposition Parties Meeting) की. इसके 10 दिन बाद नीतीश कुमार अपने आवास पर दो दिनों तक अपने पार्टी के विधायक, विधान पार्षद की बैठक किए. रविवार को वे सांसदों से भी वन टू वन बातचीत किए. लगातार तीन दिनों तक अपने विधान पार्षद, विधायक और सांसदों से मिलकर बात करने के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की क्या मंशा है और उनके दिमाग में क्या चल रहा है ये तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं, लेकिन इसके क्या मायने हैं? और कयास जरूर लगाए जा सकते हैं. आखिर दो से तीन साल पर अपने विधायक और सांसदों से मिलने वाले नीतीश कुमार अचानक लगातार सभी विधायकों और सांसदों से क्यों मिल रहे हैं.
'बीजेपी की राजनीति में भी फंस चुके हैं'
राजनीति विशेषज्ञों की माने तो नीतीश कुमार कहीं ना कहीं बीजेपी से घबराए हुए हैं. राजनीति में विश्लेषक अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि जिस तरह महाराष्ट्र में और जोर की राजनीति हुई है उसी तरह बिहार में भी कुछ न हो. इसको लेकर नीतीश कुमार अपने घर को संभालने में लगे हुए हैं और बीजेपी की राजनीति में भी फंस चुके हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी की यही रणनीति है कि नीतीश कुमार अपने ही घर में परेशान हो गए हैं और बीजेपी की चाल कामयाब होते दिख रही है. नीतीश कुमार के मन में ऐसा चल रहा है कि पार्टी के विधायक और सांसदों में बिखराव न हो. इसको लेकर वे सभी से मिलने का प्रयास कर रहे हैं.
जेडीयू में टूट के कई नेता कर रहे हैं लगातार दावा
अरुण पांडे ने कहा कि नीतीश कुमार अच्छी तरह से जानते हैं कि आरजेडी से गठबंधन करने पर उनके कई विधायक और सांसद असहज महसूस कर रहे हैं कई विधायकों को आरजेडी के खिलाफ जनता ने वोट कर जेडीयू को जिताया था. नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के बाद बीजेपी या हाल के दिनों में उपेंद्र कुशवाहा भी लगातार बयानबाजी करते रहे हैं कि उनके संपर्क में कई विधायक और सांसद है तो सिर्फ शुभ मुहूर्त का इंतजार है तो इससे परहेज भी नहीं किया जा सकता है. अरुण कुमार पांडे ने कहा कि जेडीयू के पास अभी 45 विधायक हैं और 16 सांसद हैं. नीतीश कुमार की पार्टी को तोड़ने के लिए 30 विधायक आवश्यक होगा. अभी तो यह स्थिति नहीं दिख रही है. 10 से 12 विधायक से ज्यादा अभी टूटना संभव नहीं है. नीतीश कुमार यही चाह रहे हैं कि किसी भी सूरत में कोई भी विधायक नहीं टूटे.
पार्टी संभालने में जुटे सीएम नीतीश
राजनीति विशेषज्ञ ने बताया कि जिस तरह महाराष्ट्र में टूट की स्थिति दिख रही है नीतीश कुमार के मन में यह जरूर चल रहा है कि बीजेपी कभी भी कुछ भी कर सकती है और महाराष्ट्र की स्थिति बिहार में भी उत्पन्न हो सकती है. वह इसलिए पहले से सचेत हो रहे है. उन्होंने कहा कि एक मायने में देखा जाए तो नीतीश कुमार बीजेपी के रणनीति के शिकार भी हो चुके हैं. नीतीश कुमार सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. 23 जून को बैठक भी किए हैं और इसकी मॉनिटरिंग वे खुद कर रहे हैं. बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि विपक्ष को एकजुट करने में जो सबसे आगे चल रहे हैं उन्हें ही पहले घेरा जाए और नीतीश कुमार को घेर कर बाहर की राजनीति करने के लिए सोचने से पहले उन्हें अपने घर में ही कैद कर दिया जाए. बीजेपी इस चाल में कामयाब भी होते भी दिख रही है. नीतीश कुमार अभी विपक्षी एकता से हटकर अपने ही पार्टी को संभालने में जुट गए हैं.
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