Lok Sabha Election: बिहार में काम करेगा '25 का दम' वाला फॉर्मूला! 2024 के लिए क्या हैं इसके मायने? | Inside Story
Lok Sabha Elections 2024: फरवरी में दो कार्यक्रम होने वाले हैं. एक महागठबंधन की ओर से होगा तो दूसरा भारतीय जनता पार्टी की ओर से होने वाला है. लोकसभा चुनाव के लिए यह अहम हो सकता है.
पटना: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की तैयारी का रंग बिहार में चढ़ने लगा है. चुनाव में लंबा वक्त है लेकिन अलग-अलग पार्टियों ने दम दिखाने के लिए मैदान में उतरना शुरू कर दिया. कार्यक्रम की वजह कुछ भी लेकिन निशाना और मकसद एक ही होगा कि आने वाले इस लोकसभा चुनाव में पार्टी खुद को कैसे मजबूत करे. बिहार में फरवरी में महागठबंधन और बीजेपी की ओर से अलग-अलग कार्यक्रम होने वाले हैं. इसी से दिखेगा 25 का दम. 25 का दम यानी इसी दिन एक तरफ जहां पूर्णिया में महागठबंधन सरकार (Mahagathbandhan Sarkar) की रैली होगी तो वहीं पटना में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी एक कार्यक्रम में आ रहे हैं. जानिए इनसाइड स्टोरी में क्या है.
25 फरवरी 2023 बिहार की राजनीति के लिए बड़ा दिन माना जा रहा है. पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में 25 फरवरी को महागठबंधन सरकार की ओर से विशाल रैली का आयोजन किया गया है. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव सहित वाम दल, कांग्रेस और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी शामिल रहेगी. दूसरी ओर बीजेपी ने भी इसी दिन को चुना है. भारतीय जनता पार्टी भी नहीं चाहती है कि शुरुआत से ही किसी तरह की कोई चूक हो.
महागठबंधन को जवाब देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उस दिन पटना पहुंच रहे हैं. वे किसान मजदूर समागम कार्यक्रम के होने वाले आयोजन में शिरकत करेंगे. अमित शाह उस दिन वाल्मीकि नगर भी जाएंगे और वहां बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. यह तो तय है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी की शुरुआत महागठबंधन उस दिन से करेगी लेकिन बीजेपी बहुत पहले से तैयारी में जुटी है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जिस सीमांचल में 25 फरवरी को रैली करेंगे वहां अमित शाह ने नीतीश कुमार से अलग होने के 44 दिन बाद ही दो दिन जनसभा की थी. इनमें किशनगंज और पूर्णिया का इलाके शामिल था. अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हिंदू वोटरों को एकजुट करने का प्रयास किया था.
बीजेपी और महागठबंधन दोनों की सीमांचल पर नजर
यह जान लीजिए कि सीमांचल के इलाके ऐसे हैं जहां से काफी कुछ बदलता है. महागठबंधन की इस रैली में पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार के अलावा सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और भागलपुर जिलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोग को शामिल करने की तैयारी है. बीजेपी और महागठबंधन दोनों की सीमांचल पर नजर है. बीजेपी हिंदू वोटरों को एकजुट कर अपने पाले में करने के फिराक में है तो महागठबंधन मुस्लिम वोटरों में बंदरबांट न हो इसे ध्यान में रखकर रणनीति बना रही है.
बता दें कि 2020 के चुनाव में सीमांचल से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जीत कर आई थी और महागठबंधन को बड़ा झटका लगा था. अब महागठबंधन इसी चक्कर में है कि मुस्लिम वोटरों का बंदरबांट न हो. इसे कैसे रोका जाए इसको देखते हुए भी महागठबंधन की ओर से यह रैली हो रही है.
अरुण पांडेय ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को खोने के लिए कुछ नहीं है सिर्फ पाने के लिए है. 2019 में आरजेडी का खाता भी नहीं खुला था. कांग्रेस को मात्र एक सीट मिली थी. जेडीयू को 16 सीट मिली थी, लेकिन वह बीजेपी के साथ थी. इस बार बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि अभी बिहार में सिर्फ 17 सांसद ही हैं. बीजेपी की नजर जेडीयू संसदीय क्षेत्र वाले इलाके पर विशेष है. यही कारण है कि अमित शाह का जो भी दौरा होता है वह जेडीयू के संसदीय क्षेत्र में ज्यादा होता है.
25 फरवरी को अमित शाह का मुख्य कार्यक्रम पटना में है. किसान मजदूर समागम से सवर्ण वोटों को साधने की तैयारी होगी. हालांकि बीजेपी की नजर उन सभी संसदीय क्षेत्र पर है जहां जेडीयू के सांसद हैं. वाल्मीकि नगर जेडीयू का संसदीय क्षेत्र है. अमित शाह का पटना में कार्यक्रम तो होगा ही इसके अलावा वे वाल्मीकि नगर में बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं के साथ मिलने का मुख्य वजह यह भी है.
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