पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) विपक्षी एकता को मजबूत करने के इरादे से दिल्ली (delhi) दौरे पर हैं. वहीं, उनके आलोचक और पार्टी से अलग हो चुके उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने मंगलवार को कहा कि देश में इस वक्त विपक्षी एकता की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिख रही है. उपेंद्र कुशवाहा ने इसके पीछे की वजह भी बताई. उन्होंने कहा कि विपक्ष में इस वक्त देश में एक दर्जन से ज्यादा नेता हैं जो प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं लेकिन, इनमें से किसी एक पर सहमति बनने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. 


मंगलवार को राष्ट्रीय लोक जनता दल के नेताओं द्वारा आयोजित महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती समारोह में उपस्थित होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. एमएलसी चुनाव के नतीजों पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमने तो पहले से ही कहा था कि जेडीयू कमजोर हो रही है, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी. अब एमएलसी के चुनाव के नतीजों ने तो पूरी तरह से मेरी बात को सच साबित कर दिया है. अब तो हालत ये है कि महागठबंधन अब विधान परिषद में अपना बहुमत को चुका है.


इफ्तार पार्टी को बताया जले पर नमक छिड़कने जैसा


इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने हिंसा के बीच इफ्तार पार्टी की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि एक तरफ रामनवमी के मौके पर दो गुटों में हिंसा हो रही थी और दूसरी तरफ दावत-ए-इफ्तार चल रही थी. रमजान का महीना है और इफ्तार सभी लोग करते हैं, लेकिन दिक्कत तब आती है जब यह समारोह में तब्दील हो जाता है. ऐसे मौके पर ऐसा करना एक तरह से जले पर नमक छिड़कने जैसा है. उन्होंने कहा कि अब भी इन इलाकों में दिनचर्या सामान्य नहीं हुई है. लिहाजा, इस तरह के समारोह का आयोजन करना गलत है.


'जेडीयू के नेताओं ने आरजेडी के नेताओं को फंसाया'


वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से ईडी की पूछताछ पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरजेडी के लोगों को जेडीयू के नेताओं से पूछना चाहिए. जेडीयू के लोगों ने ही हाईकोर्ट की निगरानी में लालू प्रसाद यादव के भ्रष्टाचार को सुनने और देखने की पहल की थी इसलिए आरजेडी के लोगों को इस बारे में सबसे पहले जेडीयू के नेताओं से पूछनी चाहिए.


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