पटना: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के दौरान वैशाली में सभा को संबोधित करते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि बिहार के लोग वोट के दिन मुख्य रूप से चार मुद्दे पर ही वोट करते हैं. पहला जाति के नाम पर, जो इससे बच जाता है वो हिन्दू-मुस्लिम और भारत-पाकिस्तान के नाम पर वोट करता है. 2019 चुनाव (Lok Sabha Elections) में बिहार की जनता ने संकल्प किया था कि इस बार बीजेपी (BJP) को वोट नहीं देंगे. बीजेपी के प्रत्याशी ने काम नहीं किया है लेकिन पुलवामा की घटना के बाद लोगों ने फिर से बीजेपी को वोट दे दिया, जो लोग इन दोनों से बच जाते हैं वो कहते हैं कि कितनी भी बुरी स्थिति क्यों न हो लेकिन लालू  (Lalu Yadav) का जंगलराज नहीं चाहिए. जंगलराज के डर से लोग मजबूरी में बीजेपी को वोट दे रहे हैं. 


'जिंदा रहें या ना रहें बीजेपी को तो वोट नहीं कर सकते हैं'


प्रशांत किशोर ने कहा कि चौथी श्रेणी अल्पसंख्यकों की है, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का कहना है कि जिंदा रहें या ना रहें बीजेपी को तो वोट नहीं कर सकते हैं. लोगों ने जंगलराज से बचने के लिए बीजेपी को वोट किया लेकिन वहां भी उनको निराशा ही हाथ लगी है. वहीं, आगे जन सुराज को लेकर चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि दूसरे दलों में कार्यकर्ताओं को प्रकोष्ठ के पदाधिकारी बना देते हैं जबकि खुद मुख्य शाखा में रहते हैं, ये जो दल हैं वो प्रकोष्ठ बनाकर कार्यकताओं को मूर्ख बना देते हैं. जन सुराज में कोई प्रकोष्ठ नहीं है और ना ही कोई कार्यकर्ता है, जो भी इससे जुड़ेगा वो मालिक हैं और संस्थापक हैं.


हम इसके नेता नहीं बनेंगे- प्रशांत किशोर


प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं इस अभियान का नेता नहीं हूं. मैं इसका सूत्रधार हूं, जो आपको गारंटी देता है कि जिस आशा और विश्वास के साथ आप इससे जुड़ रहे हैं इस पर कोई धब्बा नहीं लगने देंगे. ऐसा भी बिल्कुल नहीं है कि आने वाले समय में प्रशांत किशोर इसके नेता हो जाएंगे तो मैं आपको साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि इसका नेता वो बनेगा, जिसको सब लोग मिलकर नेता बनाएंगे. हमको अगर चुन भी लिया तो भी हम इसके नेता नहीं बनेंगे.


'बाकी कर्पूरी ठाकुर नाम पर दूसरे दल फीता काट ही रहे हैं'


वहीं, जननायक कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज अति पिछड़ा समाज के लिए क्या कर सकता है? जन सुराज में राजनीतिक भागीदारी की जो बात है, वो अभी है और आगे भी रहेगी. कर्पूरी ठाकुर आज होते तो समाज के लिए क्या काम कर रहे होते? वही काम जन सुराज करेगा. वही सच्ची श्रद्धांजलि होगी बाकी कर्पूरी ठाकुर नाम पर दूसरे दल फीता काट ही रहे हैं.


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